इस बात को गांठ बांध लीजिये कि निश्चिंत होकर जिओगे तो ख़ूब जिओगे और अगर चिंता कर के जिओगे तो जल्दी मरोगे। तो आपका अगर जल्दी मरने का कार्यक्रम हो तो ख़ूब चिंता कीजिये, रातों की नींद गंवाइए। परंतु यदि आप लम्बा जीवन जीना चाहते हैं, तो अपने आपको हर प्रकार की चिंताओं से मुक्त कर लीजिये।
जीवन को चिंताओं से पूरी तरह मुक्त रखने के लिये यह ज़रूरी है कि हमारे सुझावों पर आप अवश्य अमल करें और उन्हें अपनी जीवन-शैली के रूप में अपनाएं। सत्संग करें, संतों के सानिध्य में बैठें, उनसे ज्ञान प्राप्त करें और उस ज्ञान को अपने आचरण का अभिन्न अंग बनाएं। इसके साथ ही जीवन में सुमिरन के महत्त्व को समझना भी अत्यन्त आवश्यक है, क्योंकि सुमिरन के ज़रिये ही आपको चिंता और तनाव से मुक्ति मिल सकती है।
सुमिरन करने का सही तरीका आपको सद्गुरु से सीखना होगा। गुरु अर्जुनदेव जी की बहुत ही प्यारी पंक्ति है ‘गोविन्द के गुण गाओ साधे’। इसमें गुरुदेव ने सुमिरन की महिमा का गुणगान किया है कि ‘हे साधु! वास्तव में मनुष्य को यह जीवन सुमिरन करने के लिये ही प्राप्त हुआ है।
लेकिन चिंताग्रस्त मन सुमिरन भी कैसे करें? मन को चिंता मुक्त करने की एक अनोखी विधि है ‘योगनिद्रा’। योगाभ्यास प्रायः जागृत अवस्था में ही किया जाता है, परंतु योगाभ्यास की यह विशेष विधि लेट कर की जाती है। आप या तो जगते हैं या फिर गहरी नींद में सो जाते हैं। लेकिन योगनिद्रा में आप पूर्णतः जागृत होते हुए भी शरीर और मन पर गहरी नींद के तमाम लक्षण अनुभव कर पाते हैं।
योगनिद्रा शरीर को गहन विश्राम देकर पूरी तरह शिथिल करती है। आप यह हमेशा महसूस करते रहोगे कि विश्राम तो आप रात नींद में भी करते हैं। परंतु सारी रात सोने के बाद भी सुबह उठकर अगर आप थका हुआ और बोझिल महसूस करते हैं, तो आपके रात भर नींद में होने का कोई अर्थ नहीं है।
इसकी वजह यह है कि आप नींद में स्वप्न देखते रहते हैं। क्या आपने कभी गिना है कि एक रात में आप कितनी बार करवटें बदलते हैं? कभी गरमी लग रही, कभी मच्छर काट रहे, कभी प्यास लगी, कभी शौचालय जाना है, कभी-कभी थकान के मारे शरीर इतना अकड़ जाता है कि नींद आना मुश्किल हो जाता है।
अगर नींद आ भी जाये तो कच्ची नींद आती है, स्वप्न चलते रहते है। फिर ज़रा आप नींद में उतरने लगते हो, इतने में उठने का अलार्म बज जाता है और आपको दिनभर के कार्य करने के लिये उठना ही पड़ता है। सात घण्टों की नींद के बाद भी अगर आप थकान महसूस करते हैं, बोझिल महसूस करते हैं, मन चिड़चिड़ा रहता है, तो ये सारे लक्षण आपके तनाव में होने के लक्षण हैं।
बहुत से लोगों को स्पॉण्डिलाइटिस या साइनस की समस्या रहती है। श्वास ठीक से नहीं ले पाते, ज़ुकाम बना रहता है, सिर दुखता रहता है। औरतें तो जब देखो सिर पकड़ कर बैठी रहती हैं। सिर दुखना भी लक्षण है कि आप तनाव में हैं। बहुत बार घर का वातावरण सामंजस्यपूर्ण नहीं होता है। आपसी सम्बन्धों को किस प्रकार सही ढंग से निभाना चाहिये यह आपको मालूम नहीं है। आपको दूसरों से या तो बड़ी अपेक्षाएं रहती हैं या फिर सारा समय आप दूसरों की आलोचना करते रहते हो।
अगर आपका मन तनाव में रहता है, तो आपका शरीर कैसे स्वस्थ रह सकता है? आप में से कितने लोग अपचन और वायु से पीड़ित हैं? आपमें से कितनों को खट्टे डकारें आती हैं? इसका कारण भी आपके मन का तनाव है। मन का तनाव ही शरीर पर असर करता है और वही रोगों के रूप में प्रकट हो जाता है।
अस्सी प्रतिशत रोगों का मूल तो आपको अपने मन के तनावों में ही मिल जाएगा। याद रहे, रोग कभी शरीर से मन की तरफ नहीं जाते। परंतु मन के रोगी होने से शरीर भी रोगी होता है। तो अगर हम अपने मन को स्वस्थ रखेंगे, तो शरीर भी तंदुरुस्त रहेगा।
योगनिद्रा हमको सम्पूर्ण विश्राम में ले जाकर सुन्दर स्वास्थ्य प्रदान करती है। शरीर के स्तर पर तो योगनिद्रा हमारी मांसपेशियों और नाड़ियों को विश्राम देती ही है, साथ ही हमें मानसिक और भावनात्मक विश्राम भी प्रदान करती है। दिलचस्प बात तो यह है कि योगनिद्रा बैठ कर नहीं, लेट कर करनी होती है।
तुम सोचोगे कि फिर तो मज़ा आ गया, अब तो हम अधिकृत ढंग से सो जाएंगे। नहीं, इस विधि में सोना नहीं है, जगना है। पूरी तरह सजग और सचेत रहना है। योगनिद्रा शरीर और मन पर बहुत गहन प्रभाव देने वाला प्रयोग है। इसके द्वारा आप अपने शारीरिक और मानसिक तनावों से मुक्ति पा सकते हैं।