नई दिल्ली: एक फैक्ट-फाइडिंग कमेटी द्वारा अपनी रिपोर्ट में गुजरात नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (जीएनएलयू) के परिसर में छेड़छाड़, बलात्कार, होमोफोबिया और भेदभाव की घटनाएं रिपोर्ट की गई हैं. कमेटी में पिछले सप्ताह गुजरात हाईकोर्ट को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, बुधवार को इस रिपोर्ट को ‘डरावना’ बताते हुए मुख्य न्यायाधीश (सीजे) सुनीता अग्रवाल और जस्टिस अनिरुद्ध माई की पीठ ने घटनाओं के लिए जीएनएलयू को दोषी ठहराया और कहा कि यूनिवर्सिटी प्रशासन छात्रों की आवाज दबाने में शामिल था.
हाईकोर्ट ने सोशल मीडिया पोस्ट के बाद मीडिया रिपोर्ट्स पर स्वत: संज्ञान लिया था कि जीएनएलयू में एक लड़की के साथ बलात्कार किया गया था और एक समलैंगिक छात्र का यौन उत्पीड़न किया गया था. उसके बाद हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश हर्षा देवानी की अध्यक्षता में समिति का गठन किया था.
इससे पहले यूनिवर्सिटी की आंतरिक शिकायत समिति (आईसीसी) और रजिस्ट्रार ने आरोपों को खारिज कर दिया था.
सीजे ने कहा, ‘यह यूनिवर्सिटी एक राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय कैसे है? और रजिस्ट्रार हलफनामा दाखिल कर कह रहे हैं कि ‘कुछ नहीं हुआ, कार्यवाही बंद करो’. जब मामले ने तूल पकड़ा तो उन्होंने अदालत में यह कहने का दुस्साहस किया. ये लोग बच्चों की सुरक्षा कैसे करेंगे?’