जयपुर में ढाई सौ साल से भी अधिक प्राचीन बसे गोविंद देव जी के मंदिर में फाग उत्सव मनाने की परंपरा रियासत काल से चली आ रही है। ठाकुर जी को प्रसन्न करने के लिए फाग उत्सव का आरंभ किया जाता है। जो तीन दिन तक चलता है और भक्त भगवान के साथ होली खेलते हैं ।
इस उत्सव की ख्याति इतनी अधिक है कि राज्य भर से लगभग ढाई सौ कलाकार अपने भक्ति भाव का प्रदर्शन करते हैं। प्रतिदिन विभिन्न कलाकार अपने फऩ से गोविंद देव के साथ होली खेलने का चित्रण करते हैं तब ऐसा अनुभव होता है कि जयपुर में ही बरसाना और जमुना का तट आ मिला है।
इसमें जाती-पाती अथवा मजहब का कोई भेद नहीं होता,कुछ मुस्लिम कलाकार तो पीढिय़ों से इस से जुड़े है और शिद्दत से अपने साज़ों के माध्यम से ठाकुर जी की इबादत करते है। फाग उत्सव में गोविंद देव मंदिर के नज़ारे देखने योग्य होते है। भक्त पीले वस्त्र पहन कर फूलों की होली खेलते है,राजभोग की झांकी सजती है,कत्थक नृत्यांगन,कृष्ण कथानक,नगाड़े की नाद,शहनाई,फाग गायन आदि क्रायर्कम होते है।
वैसे तो भगवान शिव को भी रंग-गुलाल चढ़ाया जाता है लेकिन कृष्ण को सखा माना जाता है। जोधपुर के राजा मान सिंह के राजदरबार में रमज़ान ख़ान नामक गायक थे। उनकी होली बहुत प्रसिद्ध थी। तब धर्म के नाम पर कोई भेद नहीं था,रमज़ान होली के गीत गाते थे और बहुत बड़े समागम का आयोजन होता था।