कोयला घोटाले में फंसी यूपीए सरकार के सामने आज नई मुसीबत खड़ी हो सकती है. देश की सर्वोच्च अदालत में सीबीआई की स्टेट्स रिपोर्ट पर आज सुनवाई होनी है. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट को तय करना है कि जांच एजेंसी की ओर से स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने से पहले उसे कानून मंत्री, कोयला मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय से साझा करना सही है या गलत. सुप्रीम कोर्ट को सीबीआई ने बताया था कि जांच रिपोर्ट में बदलाव किए गए थे और दो स्तर पर रिपोर्ट बदली गई थी.
आज पूरे देश की नजरें सुप्रीम कोर्ट पर टिकी हैं क्योंकि इस मसले से कानून मंत्री अश्विनी कुमार का भाग्य भी जुड़ा है. सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में माना है कि उसने कोयला घोटाले पर अपनी रिपोर्ट को कानून मंत्री अश्विनी कुमार को दिखाया था. कहा जा रहा है कि सीबीआई ने अपनी रिपोर्ट के दो वर्जन कोर्ट में सौंपे. सूत्रों के मुताबिक दूसरे वर्जन में तमाम बदलाव साफ नजर आ रहे हैं. जाहिर है सर्वोच्च अदालत की एक तीखी टिप्पणी कानून मंत्री के लिए परेशानी खड़ी कर सकती है.
सवालों के घेरे में प्रधानमंत्री कार्यालय
कानून मंत्री के साथ-साथ कोयला मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय भी सवालों के घेरे में है. 26 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में सीबीआई के डॉयरेक्टर रंजीत सिन्हा ने माना है कि उन्होंने रिपोर्ट को कानून मंत्रालय, कोयला मंत्रालय और पीएमओ कार्यलाय से साझा किया था. आरोप है कि सीबीआई ने इन मंत्रालयों के अफसरों के कहने पर मूल स्टेट्स रिपोर्ट में फेरबदल किया था. साफ है पूरे मामले में विपक्ष के हमले झेल रही यूपीए सरकार की मुश्किलें और बढ़ने वाली हैं.
सुनवाई को लेकर सरकार चिंतित
कोयला घोटाले पर सुप्रीम कोर्ट में आज होने वाली अहम सुनवाई को लेकर सरकार चिंतित है. सूत्रों के मुताबिक सरकार के बड़े अधिकारी इस मामले पर कानून विशेषज्ञों की राय ले रहे हैं. बताया जा रहा है कि इस हफ्ते अटॉर्नी जनरल जी ई वाहनवती ने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात भी की. विपक्ष कानून मंत्री अश्विनी कुमार के इस्तीफे की मांग कर रहा है और सरकार को मालूम है कि अगर सुप्रीम कोर्ट की ओर से कोई तीखी टिप्पणी की जाती है तो उसके सामने नई मुसीबत आ जाएगी.
आमने-सामने कानूनी अफसर
कोयला घोटाले में सीबीआई पर दबाव बनाने का आरोप झेल रही सरकार एक नई मुसीबत में फंस गई है. स्टेटस रिपोर्ट को लेकर सरकार के दो बड़े कानूनी अफसर आमने−सामने आ गए हैं. सूत्रों के मुताबिक एडिशनल सॉलिसिटर जनरल हरीन रावल ने अटॉर्नी जनरल वाहनवती को 4 पन्नों की चिट्ठी लिखी है, जिसमें अटॉर्नी जनरल पर गंभीर आरोप लगाए हैं. एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ने वाहनवती पर सीबीआई के कामकाज में दखलअंदाजी का आरोप लगाया है. हरीन रावल ने अपनी चिट्ठी में कहा है कि अटॉर्नी जनरल ने ऐसे कई मामलों में दखलअंदाजी की जिसकी सीबीआई जांच कर रही है. एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ने लिखा है कि उन्हें बलि का बकरा बनाया जा रहा है.
बीजेपी को मिला एक और मौका
एडिशनल सॉलिसिटर जनरल के खुलासे ने बीजेपी को सरकार पर हमला करने का एक और मौका दे दिया. बीजेपी प्रवक्ता राजीव प्रताप रूडी ने कहा है कि एडिशनल सॉलिसिटर जनरल के नए खुलासे ने सभी को अंचभे में डाल दिया है. उन्होंने कहा कि इस खुलासे के बाद यह साबित हो चुका है कि प्रधानमंत्री भी पूरे मामले में दोषी हैं और उन्हें फौरन इस्तीफा दे देना चाहिए.
पीएम के इस्तीफे पर अड़ी बीजेपी
कोयला घोटाले को लेकर सोमवार को भी संसद में जमकर हंगामा हुआ. विपक्ष के हंगामे के कारण दोनों सदनों में कोई कामकाज नहीं हो सका. बीजेपी अब भी प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग पर अड़ी है. बीजेपी ने प्रधानमंत्री के साथ-साथ कानून मंत्री अश्विनी कुमार का भी इस्तीफा मांगा है. बीजेपी के अड़ियल रुख को देखते हुए यह साफ हो गया है कि इस मुद्दे पर संसद में गतिरोध आगे भी जारी रहेगा.