नई दिल्ली- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि केंद्र सरकार लड़कियों के लिए शादी की न्यूनतम उम्र पर पुनर्विचार कर रही है. मौजूदा समय में लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 18 वर्ष है.
बीते शनिवार को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले से मोदी ने कहा, ‘हमने लड़कियों के लिए शादी की न्यूनतम आयु पर पुनर्विचार करने के लिए एक समिति बनाई है. समिति द्वारा रिपोर्ट सौंपने के बाद केंद्र निर्णय लेगी.’
इसी साल दो जून को केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्रालय ने मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) को कम करने और पोषण स्तर में सुधार करने के उपाय के रूप में महिलाओं की शादी की न्यूनतम उम्र को 18 से 21 वर्ष बढ़ाने की संभावनाओं की जांच करने के लिए एक टास्क फोर्स का गठन किया था.
यह दावा करते हुए कि महिलाओं के स्वास्थ्य में सुधार के लिए सरकार ‘अथक परिश्रम’ कर रही है, प्रधानमंत्री ने कहा कि एक रुपये तक के बेहद सस्ते सैनेटरी पैड बनाए गए और इसे देश में 5 करोड़ महिलाओं को दिया गया है.
मालूम हो कि बाल विवाह को खत्म करने के लिए लड़कों और लड़कियों की शादी के लिए न्यूनतम आयु सीमा तय की गई थी.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 5 (iii) के तहत लड़की के लिए न्यूनतम आयु 18 वर्ष और लड़के के लिए 21 वर्ष निर्धारित है. नाबालिग के अनुरोध पर बाल विवाह को रद्द घोषित किया जा सकता है.
विशेष विवाह अधिनियम, 1954 और बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के तहत भी महिलाओं और पुरुषों के लिए विवाह की न्यूनतम आयु 18 और 21 वर्ष निर्धारित है.
भारत में शादी के लिए सहमति की उम्र पर एक कानूनी ढांचा 1880 के दशक में बनना शुरू हुआ था.
साल 1929 में बाल विवाह निरोधक अधिनियम ने लड़कियों और लड़कों के लिए विवाह की न्यूनतम आयु 16 और 18 वर्ष निर्धारित की थी. सारदा एक्ट के नाम से चर्चित इस कानून में साल 1978 में संशोधन कर लड़कियों एवं लड़कों की शादी की न्यूनतम उम्र 18 और 21 कर दी गई थी.