पणजीः गोवा लोकायुक्त ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को एक विशेष रिपोर्ट भेजी है, जिसमें कहा गया है कि प्रमोद सावंत के नेतृत्व वाली सरकार ने भाजपा विधायक और राज्य के पूर्व बिजली मंत्री पांडुरंग मडकाइकर के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में एफआईआर दर्ज करने की पूर्व लोकायुक्त की सिफारिशों पर कार्रवाई करने से इनकार कर दिया था.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, लोकायुक्त जस्टिस अंबादास जोशी ने 23 जून को भेजी गई अपनी रिपोर्ट में कहा है कि उनके पूर्ववर्ती जस्टिस प्रफुल्ल कुमार मिश्रा ने 15 सितंबर 2020 को गोवा सरकार को मडकाइकर के खिलाफ कथित तौर पर 200 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत के बंगले के निर्माण के लिए एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया था.
पुराने गोवा में निर्मित करोड़ों रुपये का यह बंगला आय के उनके ज्ञात स्रोतों से मेल नहीं खाता था.
वकील आयर्स रॉड्रिक्स ने 2018 में उत्तरी गोवा के कंबुर्जा निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा विधायक पांडुरंग मडकाइकर और पुराने गोवा से सरपंच उनकी पत्नी जनीता मडकाइकर के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और आपराधिक साजिश की धाराओं के तहत शिकायत दर्ज कराई थी.
एफआईआर दर्ज करने की सिफारिश करने वाली रिपोर्ट के पालन की स्थिति में सतर्कता निदेशक ने 30 दिसंबर 2020 को लोकायुक्त को सूचित किया था कि लोकायुक्त की रिपोर्ट को सक्षम अधिकारी के सामने रखा गया था, लेकिन अभी तक सक्षम प्राधिकारी ने इसे स्वीकार नहीं किया है.
बॉम्बे हाईकोर्ट से सेवानिवृत्त जज जस्टिस जोशी ने 23 जून को राज्यपाल को लिखी रिपोर्ट में कहा था, ‘उपरोक्त कार्रवाई रिपोर्ट सक्षम अधिकारी यानी मुख्यमंत्री द्वारा अस्वीकार किए जाने के कारणों का खुलासा नहीं करती.’
बता दें कि सतर्कता विभाग मुख्यमंत्री सावंत के पास है.
वहीं, सात जून 2018 को लोकायुक्त के समक्ष दर्ज की गई अपनी शिकायत में रॉड्रिग्स ने एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) पर अपनी पहले की शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगाया है.
रॉड्रिग्स ने आरोप लगाया है कि मडकाइकर के स्वामित्व वाले निकिताक्षा रियल्टर्स प्रा. लिमिटेड ने 200 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से पुराने गोवा में एक बंगला बनाया था.
उन्होंने कहा कि मडकाइकर द्वारा 2015-2016 के आयकर रिटर्न में वित्त वर्ष के लिए उनकी कुल आय 144,389 रुपये और उनकी पत्नी की 24,389 रुपये दर्शाई गई थी.
रॉड्रिक्स ने आरोप लगाया कि संपत्ति उनकी आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक थी.
बता दें कि जस्टिस जोशी ने सात मई को गोवा के लोकायुक्त के रूप में शपथ ली थी. जस्टिस मिश्रा के सेवानिवृत्त होने के बाद से एंटी करप्शन ब्यूरो लगभग आठ महीने से खाली था.
सितंबर 2020 में सेवानिवृत्त हुए जस्टिस मिश्रा ने उस समय कहा था कि गोवा में लोकायुक्त अधिनिमय के पास कोई शक्ति नहीं है.
उन्होंने कहा था, ‘जनता का पैसा व्यर्थ में क्यों खर्च किया जाए? यदि लोकायुक्त अधिनियम को इतनी ताकत से कूड़ेदान में फेंका जा रहा है, तो लोकायुक्त को खत्म करना ही बेहतर है.’
बता दें कि 27 जनवरी को विधानसभा ने गोवा लोकायुक्त संशोधन विधेयक पारित किया था, जिसके बाद विपक्ष ने राज्य में भाजपा सरकार पर भ्रष्टाचार रोधी प्राधिकरण की शक्तियों को कमजोर करने का आरोप लगाया था. इस विधेयक का प्रस्ताव मुख्यमंत्री सावंत ने रखा था.