योगनिद्रा के नियमित अभ्यास से हमारे मन, बुद्घि और शरीर को विश्राम मिलता है। इससे आप एक गहन शांति का अनुभव कर पाते हैं। जब आप विश्राम के इस गहरे तल का अनुभव करते हैं, तब आप अपने अवचेतन और अचेतन मन में मौजूद गहन पीड़ादायी स्मृतियों और उनके संस्कारों से मुक्त हो जाते हैं।
इसी परम विश्राम की अवस्था में जब आप मानस-दर्शन करते हैं, तो यह योगनिद्रा की एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण स्थिति होती है। इस स्थिति में आप जिन वस्तुओं को अपने मानस पटल पर पूर्व के अनुभव और स्मृतियों के सहारे देख पाते हैं, वे दृश्य आपको उनसे जुड़ी भावनात्मक पीड़ाओं और इच्छाओं से मुक्त करते हैं। चाहे वह उगते हुए सूर्य का दृश्य हो, गुलाब का फूल हो या एक सरोवर का दृश्य हो इन दृश्यों से जुड़े आपके सारे अनुभव और संस्कार भी साथ में जागृत हो जाते हैं।
एक उदाहरण देती हूँ। इग्लैण्ड में मैं योगनिद्रा का सेशन ले रही थी। सेशन के बाद एक महिला मुझ तक आयी और उसने बताया कि ‘एक बार मैं अपने परिवार के साथ स्पेन में छुट्टियाँ मनाने समुद्र किनारे गयी थी। वहाँ बहुत भीड़ थी और अचानक मुझे अत्यध्कि घुटन और भय की भावनाओं ने घेर लिया।
ऐसे लग रहा था जैसे उस भीड़ में मैं बुरी तरह से फंस गयी हूँ। योगनिद्रा के दौरान जब आपने समुद्र तट का दृश्य देखने को कहा, तो मैं अपने मानस पटल पर समुद्र किनारा तो बहुत अच्छे से देख पायी, परंतु उसके साथ ही वहाँ पर अनुभव की हुई उस घुटन, घबराहट और पीड़ा ने भी मेरे मन को घेर लिया।
लेकिन तुरंत ही आपका निर्देश हुआ कि ‘उगते सूर्य को देखो’ इस निर्देश का पालन करते ही ऐसा प्रतीत हुआ कि सूर्य की किरणों ने मेरी देह को उर्जामयी बना कर स्वास्थ्य प्रदान किया है।’
तो इस प्रकार योगनिद्रा आपके अंदर छुपे हुए गहरे भय और उन्माद के अनुभवों से आपको मुक्ति प्रदान करती है। अतीत में अनुभव किये हुए कई प्रकार के भय मनुष्यों के मन को सताते रहते हैं। कोई अंधेरे से डरते हैं, कईयों को तंग जगह से भय लगता है, अवचेतन मन गहरे मृत्यु के भय से हमेशा ही अत्यंत प्रभावित रहता है। योगनिद्रा के अभ्यास से हम इन सभी प्रकार के भयों से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं।