वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने अमेरिकी कंपनियों को भारत में विनिर्माण संयंत्र लगाने का न्यौता दिया है। यहां अमेरिकी उद्योगपतियों एवं सांसदों के साथ एक बैठक के दौरान चिदंबरम ने कहा कि भारत की नीतियां विकासोन्मुखी हैं, जिसे देखते हुए अमेरिकी कंपनियां भारत में निवेश करें।
अमेरिका-भारत कारोबारी परिषद के वार्षिक सम्मेलन में हिस्सा लेने 4 दिन की अमेरिका यात्रा पर आए चिदंबरम ने अमेरिकी कारपोरेट क्षेत्र से भारत में उल्लेखनीय स्तर पर निवेश करने की गुजारिश की और भारत में कारखाने लगाने को कहा।
उन्होंने कहा कि भारत को विशाल विनिर्माण वाली अर्थव्यवस्था बनाने के लिए यह दोनों देशों के पारस्परिक हित में है। बैठक में माइक्रोसॉफ्ट, लाकहीड मार्टिन, बोइंग और इंटरनेशनल लीज फाइनेंस कारपोरेशन सरीखे कंपनियों के प्रमुखों ने हस्तांतरण मूल्य निर्धारण व व्यापक आव्रजन विधेयक का मुद्दा उठाया।
चिदंबरम ने उद्योगपतियों व सांसदों को कई क्षेत्रों में एफडीआई सीमा बढ़ाने पर गठित अरविंद मायाराम समिति की सिफारिशों एवं इन सिफारिशों को लागू करने के लिए उठाए जा रहे कदमों से अवगत कराया। वित्त मंत्री ने व्यापक आव्रजन सुधार विधेयक में प्रावधानों को लेकर भारतीय चिंताओं को भी रेखांकित किया।
सीनेटर बाकस के साथ अपनी बैठक में चिदंबरम ने इस बात का उल्लेख किया कि जहां भारत में मौजूदा कारोबारी वातावरण के बारे में कुछ चिंताएं व्यक्त की गई हैं, वहीं सरकार द्वारा अपनाई गई नीतियां विकास अनुकूल व डब्ल्यूटीओ के नियमों को पूरा करने वाली हैं।
चिदंबरम ने जोर दिया कि भारत विदेशी निवेशकों के लिए एक पारदर्शी, निष्पक्ष और बिना भेदभाव वाला माहौल सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।