Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/load.php on line 926

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826
 फेसबुक वीआईपी लोगों के लिए अलग नियम लागू करता है | dharmpath.com

Sunday , 24 November 2024

Home » ख़बरें अख़बारों-वेब से » फेसबुक वीआईपी लोगों के लिए अलग नियम लागू करता है

फेसबुक वीआईपी लोगों के लिए अलग नियम लागू करता है

September 16, 2021 8:48 am by: Category: ख़बरें अख़बारों-वेब से Comments Off on फेसबुक वीआईपी लोगों के लिए अलग नियम लागू करता है A+ / A-

नई दिल्ली– सोशल मीडिया कंपनी फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने कई मौकों पर दावा किया है कि फेसबुक अपने सभी यूजर्स को अभिव्यक्ति की आजादी का बराबर मौका देता है और इसके नियम हर किसी पर समान रूप से लागू होते हैं, भले ही व्यक्ति किसी भी पद पर हो या कितना भी लोकप्रिय हो.

हालांकि पर्दे के पीछे सब कुछ ऐसा नहीं है. हकीकत ये है कि कंपनी ने एक ऐसा सिस्टम तैयार किया है जो हाई-प्रोफाइल यूजर्स की छंटनी कर उन पर कुछ या सभी नियम लागू होने से बचा लेता है.

अमेरिकी अखबार वॉल स्टीट जर्नल द्वारा प्राप्त किए गए कंपनी के दस्तावेजों से ये खुलासा हुआ है. इस प्रोग्राम को ‘क्रॉस चेक’ या ‘XCheck’ के नाम से जाना जाता है.

वैसे तो इसकी शुरुआत नामी यूजर्स जैसे कि विभिन्न सेलिब्रिटीज, नेताओं और पत्रकारों के एकाउंट्स को नियंत्रित करने के लिए किया गया था. हालांकि अब यह लाखों वीआईपी यूजर्स को उल्लंघन करने पर तमाम नियमों से बचाने वाले शील्ड या सुरक्षा कवच के रूप में तब्दील हो गया है.

इसमें से कुछ यूजर्स को ‘वाइटलिस्ट’ किया गया है, यानी इन पर कार्रवाई वाले कोई नियम लागू नहीं होते हैं.

वहीं, दूसरी तरफ कुछ यूजर्स को नियमों का उल्लंघन करने वाले पोस्ट करने की इजाजत दी जा रही है, ऐसे पोस्ट को फेसबुक कर्मचारी समीक्षा के लिए भेज दिया जाता है, लेकिन इसका निपटारा लंबित ही रहता है.

आलम ये है कि फेसबुक के इस प्रोग्राम ने ऐसे कई नामी लोगों को कार्रवाई से बचाया है, जिनके पोस्ट में उत्पीड़न या हिंसा के लिए उकसाने जैसी सामग्री थी. यदि कोई सामान्य व्यक्ति इस तरह का पोस्ट करता तो उसका एकाउंट तुरंत ब्लॉक कर दिया जाता है.

दस्तावेज दर्शाते हैं कि साल 2019 में कंपनी ने अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल स्टार नेमार को उस महिला की नग्न तस्वीर कोरोड़ों लोगों को दिखाने की इजाजत दी, जिन्होंने नेमार पर बलात्कार का आरोप लगाया था. काफी समय बाद फेसबुक ने इस पोस्ट को हटाया था.

इतना ही नहीं, फेसबुक ने अन्य हाई-प्रोफाइल यूजर्स को ऐसी कई भड़काऊ सामग्री पोस्ट करने की इजाजत दी, जिसे फेसबुक की फैक्ट चेकर्स टीम में झूठा बताया था.

इस तरह के यूजर एकाउंट्स को लेकर कंपनी द्वारा कराई गई एक गोपनीय समीक्षा में कहा गया, ‘हम वास्तव में वह नहीं कर रहे हैं जो हम पब्लिक में करने का दावा करते हैं.’ उन्होंने कहा कि इस तरह का कार्य ‘विश्वासघात’ है.

समीक्षा में यह भी कहा गया कि अन्य लोगों के उलट ये लोग कंपनी के मानकों का उल्लंघन कर रहे हैं और कोई कार्रवाई भी नहीं हो रही है.

दस्तावेजों से पता चलता है कि साल 2020 में XCheck प्रोग्राम में कम से कम 58 लाख यूजर्स जुड़ गए थे. ये आंकड़ा इस बात की पुष्टि करता है कि फेसबुक ने जनता और खुद अपने निरीक्षण बोर्ड से झूठ बोला है, जिसका गठन कंपनी के कानूनी सिस्टम की जबादेही सुनिश्चित करने के लिए किया गया था.

जून महीने में बोर्ड को दिए अपने लिखित जवाब में फेसबुक ने दावा किया था कि हाई-प्रोफाइल यूजर्स के लिए बनाए गए उनके सिस्टम का इस्तेमाल सिर्फ ‘कुछ मामलों’ में किया जाता है.

वॉल स्ट्रीट जर्नल द्वारा देखे गए दस्तावेजों से पता चलता है कि फेसबुक को इस बात की जानकारी है कि उनके प्रोग्राम में कई सारी कमियां हैं, जिसके चलते भारी नुकसान हो सकता है. इसके साथ ही यह भी पता चलता है कि इस समस्या को दूर करने में फेसबुक की रुचि या योग्यता नहीं है.

अमेरिकी अखबार ने कहा है कि ये बातें उन साक्ष्यों के आधार पर निकलकर सामने आई हैं, जो कई रिसर्च रिपोर्ट, ऑनलाइन कर्मचारी बातचीत, वरिष्ठ प्रबंध (जिसमें जुकरबर्ग भी शामिल हैं) को दिए गए प्रेजेंटेशन इत्यादि पर आधारित है.

ये दस्तावेज फेसबुक की समस्याओं की अब तक की सबसे स्पष्ट तस्वीर पेश करते हैं, जो ये दर्शाता है कि इसके बारे में कंपनी के अंदर और खुद सीईओ तक को इसकी जानकारी है.

इस बात का लब्बोलुआब यही है कि कंपनी जनता के सामने झूठ बोलती है और पीछे से हाई-प्रोफाइल लोगों को बचाती है और खुद को इस तरह पेश करती है कि जैसे उन्हें कुछ पता ही नहीं है.

खास बात ये है कि इन सब के बाद भी कंपनी खूब कमाई कर रही है. तमाम आलोचनाओं के बीच पिछले पांच सालों में फेसबुक ने 100 बिलियन डॉलर से अधिक की कमाई की है. वर्तमान में कंपनी का मूल्य एक ट्रिलियन डॉलर से अधिक है.

आम यूजर्स के सामने फेसबुक दर्शाता है कि बदमाशी, यौन सामग्री, अभद्र भाषा और हिंसा के लिए उकसाने जैसे पोस्ट को लेकर उनके नियम काफी कड़े हैं. कई बार कंपनी का ऑटोमैटिक सिस्टम बिना रिव्यू के ही ऐसी चीजें डिलीट कर देता है. हालांकि खास लोगों को इन सबसे बचाने की सुविधा तैयार की गई है.

यदि कोई हाई-प्रोफाइल यूजर इस तरह का पोस्ट करता है, तो उसे तुरंत डिलीट नहीं किया जाता है. पहले उसे रिव्यू करने के लिए एक दूसरे सिस्टम में भेजा जाता है. अधिकांश फेसबुक कर्मचारियों को XCheck सिस्टम में यूजर्स जोड़ने की इजाजत मिली हुई थी.

यदि ब्राजीलियन फुटबॉल स्टार नेमार का मामला देखें, तो साल 2019 में उन पर रेप का आरोप लगने के बाद उन्होंने अपने आप को सही बताने के लिए लड़की के साथ की गई वॉट्सऐप बातचीत को वीडियो फॉर्मेट में सार्वजनिक कर दिया था, जिसमें नाम के साथ उनकी न्यूड तस्वीरें भी थीं. उन्होंने महिला पर जबरन वसूली का आरोप लगाया था.

इस तरह के पोस्ट को लेकर फेसबुक की पॉलिसी स्पष्ट है कि इसे तुरंत डिलीट किया जाए. लेकिन नेमार को XCheck सिस्टम ने बचा लिया. एक दिन से अधिक समय तक इस सिस्टम ने फेसबुक के मॉडरेटर को वीडियो डिलीट करने से रोक दिया था.

इस घटना की आंतरिक समीक्षा से पता चला कि इस वीडियो को फेसबुक और इंस्टाग्राम के 5.6 करोड़ यूजर्स ने देखा था. इसके साथ ही महिला के चरित्र पर सवाल उठाते हुए 6,000 से अधिक बार वीडियो री-पोस्ट किया गया था.

फेसबुक की गाइडलाइन के मुताबिक, अनाधिकृत न्यूड फोटोज को न सिर्फ डिलीट किया जाना चाहिए, बल्कि जिस एकाउंट से उसे पोस्ट किया गया है, उसे भी डिलीट किया जाए.

फेसबुक ने इसी तरह का रवैया अन्य ताकतवर लोगों जैसे कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, उनके बेटे डोनाल्ड ट्रंप जूनियर, सिनेटर एलिजाबेथ वारेन, फैशन मॉडल सुन्नाया नाश और खुद जुकरबर्ग को लेकर भी अपनाया था.

ये पहला मौका नहीं है जब फेसबुक पर इस तरह के गंभीर सवाल उठ रहे हैं. फेसबुक के ही कई रिसर्चर्स ने इसके प्लेटफॉर्म की कमियों को उजागर किया है, जिसमें बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ने, राजनीतिक बहस और मानव तस्करी जैसी चीजें शामिल हैं.

इन मामलों को लेकर फेसबुक ने आम जनता से लेकर अमेरिका की संसद तक में आश्वासन दिया है. खुद मार्क जुकरबर्ग ने कहा था कि वे इन कमियों को ठीक कर लेंगे. लेकिन अभी तक कंपनी ने इसे ठीक नहीं किया है और आए दिन नई समस्याएं निकलकर सामने आ रही हैं.

फेसबुक का दावा है कि उनका उद्देश्य दुनियाभर के लोगों को जोड़ना है और उन्हें अपनी बात रखने के लिए समान मंच देना है लेकिन अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग नियम लागू करना फेसबुक की मंशा पर बड़ा सवाल खड़ा करता है.

उल्लेखनीय है कि इससे पहले वॉल स्टीट जर्नल ने ही एक रिपोर्ट में बताया था कि किस तरह फेसबुक इंडिया ने नाराजगी के डर से भाजपा नेता की एंटी-मुस्लिम पोस्ट पर कार्रवाई नहीं की थी.

रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत में फेसबुक की दक्षिण और मध्य एशिया प्रभार की पॉलिसी निदेशक आंखी दास ने भाजपा नेता टी. राजा सिंह के खिलाफ फेसबुक के हेट स्पीच नियमों को लागू करने का विरोध किया था क्योंकि उन्हें डर था कि इससे कंपनी के संबंध भाजपा से बिगड़ सकते हैं.

इसी तरह द गार्जियन ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया था कि फेसबुक ने भारत में फर्जी एकाउंट को हटाने की योजना बनाई थी, लेकिन जैसे ही उसे पता चला कि इसमें एक भाजपा सांसद का भी नाम है तो उन्होंने अपने कदम पीछे खींच लिए.

फेसबुक वीआईपी लोगों के लिए अलग नियम लागू करता है Reviewed by on . नई दिल्ली- सोशल मीडिया कंपनी फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने कई मौकों पर दावा किया है कि फेसबुक अपने सभी यूजर्स को अभिव्यक्ति की आजादी का बराबर मौका देता है और नई दिल्ली- सोशल मीडिया कंपनी फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने कई मौकों पर दावा किया है कि फेसबुक अपने सभी यूजर्स को अभिव्यक्ति की आजादी का बराबर मौका देता है और Rating: 0
scroll to top