मथुरा। विश्व को कर्म का संदेश देने वाले भगवान श्रीकृष्ण की नगरी से मंगलवार को हिंदू-बौद्ध धार्मिक एकता का शंखनाद हुआ।
बौद्ध धर्म के शीर्ष गुरु दलाई लामा और ब्रज के प्रमुख संत का गुरु शरणानंद ने जो कहा उसका एक ही सार था कि यदि दोनों धर्म एक हो जाएं, तो पूरी दुनिया में करुणा रस बरसेगा। बुद्धं शरणं गच्छामि का उद्घोष करते हुए दोनों ने कहा कि आपसी मिलन से ऐसा लगा जैसे हमारा जन्मों का नाता है।
रमणरेती स्थित कार्षि्ण गुरु शरणानंद के आश्रम में शुरू हुए चार दिवसीय श्री गोपाल दास जयंती महोत्सव के पहले दिन मंगलवार को तिब्बती धर्म गुरु दलाई लामा ने प्रवचन दिए। उन्होंने कहा कि तीन हजार साल पहले जब बुद्ध के विचार विकसित हुए, तब वैदिक विचारधारा सर्वोपरि थी। तथागत बुद्ध ने बौद्ध धर्म को धम्म (सिद्धांत) कहा। दार्शनिक पृष्ठभूमि में बुद्ध ने बोध गया में महाज्ञान प्राप्त कर दुख के कारण और निवारण का रहस्य निकाला। अब हमें इस ज्ञान का विस्तार करना होगा। हर धर्म और विषय का अध्ययन कर ऐसा किया जा सकता है।
तिब्बती बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा ने भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूत बताते हुये भ्रष्टाचार के खात्मे पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि तिब्बत को भारत से हमेशा भावनात्मक सहयोग मिलता रहा है।
महावन के रमणरेती स्थित श्री गुरु कार्षि्ण शरणानंद आश्रम में धार्मिक कार्यक्रम में शामिल होने आये बौद्ध धर्म गुरु ने मंगलवार को पत्रकारों से कहा कि चीन के साथ संघर्ष में भारत ने हमेशा तिब्बत का भावनात्मक सहयोग किया है।
इसी वजह से वह पांच दशक से भारत में शरण लिये हुये हैं। भोजन भी वह भारत का ही खा रहे हैं।
लामा हों या गुरुकुल शिष्य, अध्ययन सबके लिए महत्वपूर्ण- दलाई लामा