अर्जेंटीना-लातिन अमेरिकी देश अर्जेंटीना ने कोरोना वायरस महामारी को देखते हुए एक नया संपत्ति क़ानून पास किया है जिसके तहत देश के पूंजीपतियों पर एक ख़ास टैक्स लगया जाएगा.
सरकार का कहना है कि इससे इकट्ठा किए धन का इस्तेमाल दवा और ज़रूरी चीज़ों को ख़रीदने में और राहत कार्य में किया जाएगा.
शुक्रवार को सीनेटरों ने ‘लखपतियों पर टैक्स’ कहे जा रहे इस विशेष संपत्ति कर के प्रस्ताव को 42 मतों से पारित कर दिया. इसके विरोध में 26 मत पड़े.
इस नए क़ानून के अनुसार ये टैक्स एक बार ही लगाया जाएगा. ये उन लोगों पर लागू होगा जिनके पास 20 करोड़ पेसो यानी 25 लाख डॉलर से अधिक की संपत्ति है. देश में क़रीब 12,000 ऐसे लखपति हैं जिन्हें इस टैक्स के तहत सरकार को कर देना होगा.
पहले से ही बेरोज़गारी, ग़रीबी और सरकारी क़र्ज़ की समस्या से जूझ रहे इस मुल्क की अर्थव्यवस्था के लिए कोरोना के कारण लगाए गए लॉकडाउन ने और मुश्किलें खड़ी कर दीं. 2018 से ही अर्जेंटीना आर्थिक मंदी की मार झेल रहा है.
क़ानून का समर्थन कर रहे एक मंत्री का कहना है कि इस नए टैक्स क़ानून का असर केवल देश के 0.8 फ़ीसदी करदाताओं पर पड़ेगा. जो लोग इसके दायरे में आएंगे उन्हें देश के भीतर मौजूद संपत्ति पर 3.5 फ़ीसदी और देश के बाहर मौजूद संपत्ति पर 5.25 फ़ीसदी टैक्स देना होगा.
समाचार एजेंसी एएफ़पी के अनुसार इस तरह एकत्र किए गए धन का 20 फ़ीसदी हिस्सा मेडिकल सप्लाई ख़रीदने में लगाया जाएगा.
बचे धन में से 20 फ़ीसदी छोटे और मझोले कारोबार को राहत पहुंचाने के लिए, 20 फ़ीसदी छात्रों को स्कॉलरशिप देने के लिए, 15 फ़ीसदी सामाजिक विकास के लिए और बाक़ी 25 फ़ीसदी का इस्तेमाल प्राकृतिक गैस से जुड़े उद्योगों में किया जाएगा.
मध्यमार्गी-वामपंथी राष्ट्रपति अल्बेर्टो फर्नान्डेज़ की सरकार को उम्मीद है कि इस नए टैक्स की मदद से वो 300 अरब पेसो तक इकट्ठा कर सकेगी.
हालांकि विपक्षी गुटों का कहना है कि एक तरफ़ इससे विदेशी निवेशकों को निराशा होगी तो दूसरी तरफ़ ये एक बार लगने वाला टैक्स बन कर नहीं रहेगा.
मध्यमार्गी-दक्षिणपंथी पार्टी के यून्तोस पोर एल कैम्बियो का कहना है कि एक तरह से व्यक्ति की संपत्ति “जब्त करने” जैसा है.