संसार में भगवान राम मर्यादा पुरूषोत्तम के रूप में पूजे जाते हैं। इसका कारण यह है कि इन्होंने अपने जीवन में हर रिश्ते के साथ न्याय किया। इन्होंने कभी भी बड़ा होने का अभिमान नहीं दिखाया।
इन्होंने छोटे भाइयों को सम्मान दिया और सदैव माता-पिता के आज्ञाकारी रहे। पत्नी की सुरक्षा के लिए रावण से लड़े और राजा के रूप में जनता को महत्व दिया।
लेकिन जब कोई व्यक्ति अपनी मर्यादा की सीमा रेखा को तोड़कर आगे बढ़ने की कोशिश करता है तभी विवाद और क्लेश उत्पन्न होता है।
वर्तमान समय में कई ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं कि बेटे ने पिता को घर से बाहर निकाल दिया। बेटे ने बाप की संपत्ति हड़प ली। ससुर का अपनी बहू से अनैतिक संबंध है और भाई ने बहन का अपमान किया।
जब ऐसी घटनाएं होती हैं तो मर्यादा का हनन होता है। संसार में रिश्तों की डोर का निर्माण मर्यादा की रक्षा के लिए किया गया था। यही सामाजिक जीवन का आधार भी है।
जब कोई मार्यादा का उल्लंघन करता है तब सामाजिक व्यवस्था बिगडने लगती है और मर्यादा का उल्लंघन करने वाला और मर्यादा का हनन होने वाला दोनों ही अपमानित होता है। जब कोई किसी के साथ अमर्यादित व्यवहार करता है तो उसे भी अर्मायादित व्यवहार ही प्राप्त होता है।
उदाहरण के तौर पर गंगा नदी जब तक अपनी सीमा में प्रवाहित होती है उसे माता का दर्जा प्राप्त होता है, लोग इसकी आरती उतारते हैं। लेकिन जब अपनी मर्यादा का उल्लंघन करके तटों को तोड़कर आगे बढ़ती है तब गंगा आदरणीय नहीं रह जाती है। नाले के जल में मिलकर गंगाजल ‘गंदाजल’ कहलाने लगता है।