नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के विश्व पुस्तक मेले में एक ईसाई संगठन द्वारा लगाए गए किताबों के स्टॉल पर बीते बुधवार (1 मार्च) को ‘जय श्रीराम’ का नारा लगाते हुए कुछ लोगों द्वारा तोड़फोड़ किए जाने का मामला सामने आया है.
सोशल मीडिया पर कई लोगों ने इवांजेलिकल क्रिस्चियन एसोसिएशन ‘द गिडियंस इंटरनेशनल’ के स्टॉल के सामने ‘जय श्री राम’, ‘हर हर महादेव’ और ‘भारत माता की जय’ के नारे लगाते हुए वीडियो और तस्वीरें अपलोड की हैं.
घटना बुधवार दोपहर करीब 2:15 बजे की बताई जा रही है.
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस ने कहा है कि जब विरोध प्रदर्शन हुआ था तो ‘कोई किताब नहीं फाड़ी गई और न ही किसी तरह की हिंसा देखी गई’.
अखबार ने यह भी बताया कि प्रदर्शनकारियों ने ‘मुफ्त बाइबिल बांटना बंद करो’ के नारे लगाए और स्टॉल पर लोगों को ईसाई धर्म में परिवर्तित करने का आरोप लगाया.
उन्होंने स्टॉल पर कथित तौर पर पोस्टर भी फाड़ दिए.
न्यूज़लॉन्ड्री ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि प्रदर्शनकारी स्टॉल के चारों ओर बैठ गए और 20 से 25 मिनट तक जाने से मना कर दिया. इस दौरान वे हनुमान चालीसा का पाठ भी कर रहे थे.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, जब ईसाई समुदाय के स्वयंसेवकों ने विश्व पुस्तक मेले के आयोजकों से इस संबंध में शिकायत की, तो उन्हें कथित रूप से धार्मिक ग्रंथों को मुफ्त में नहीं बांटने को कहा गया.
विश्व हिंदू परिषद के एक प्रवक्ता ने कहा कि यह कोई संगठित विरोध नहीं था.
नाम न बताने की शर्त पर ईसाई धर्म की पुस्तकों का स्टॉल लगाने वाले द गिडियंस इंटरनेशनल के एक स्वयंसेवक ने द वायर को बताया कि हिंदुत्ववादी कार्यकर्ताओं द्वारा बाइबिल की कई प्रतियों को फाड़ दिया गया था और डेविड नाम के एक व्यक्ति को हमलावरों द्वारा धक्का दिया गया था.
द वायर ने पुस्तक मेले का दौरा यह समझने के लिए किया कि वास्तव में वहां क्या हुआ था.
स्टॉल पर मौजूद एक अन्य स्वयंसेवक ने बताया कि हिंदुत्ववादी कार्यकर्ताओं ने ईसाई समुदाय पर धर्म परिवर्तन का आरोप लगाया. कार्यकर्ताओं ने उन पर आरोप लगाया कि ‘तुम लोग 25000 रुपये देकर लोगों का धर्म परिवर्तन करवाते हो.’
यह पूछे जाने पर कि क्या वे स्वतंत्र महसूस करते हैं, स्टॉल पर मौजूद स्वयंसेवकों ने कहा, ‘इस हद तक कि हमें अपनी कहानी गुप्त रूप से बतानी होगी, अन्यथा हमें पुस्तक मेले से बाहर कर दिया जाएगा.’
यूनाइटेड क्रिश्चियन फोरम के अध्यक्ष माइकल विलियम ने पुस्तक मेले में हुई इस घटना पर व्यक्त किया है.
उन्होंने कहा, ‘अब किताब बांटना भी धर्मांतरण माना जाता है. मुझे खुशी है कि अधिकारियों ने मामले को जल्द सुलझा लिया. ऐसा लगता है कि पाठकों का एक नया समूह आ गया है, जो पुस्तक मेले में यह देखने के लिए नहीं जाता है कि क्या पढ़ना अच्छा हो सकता है, बल्कि यह पहचानने के लिए कि वे किस बात से आहत महसूस कर सकते हैं. यह दुख की बात है.’
ईसाई समुदाय के खिलाफ हमलों की बढ़ती घटनाओं पर ध्यान आकर्षित करते हुए बीते 19 फरवरी को दिल्ली के जंतर मंतर पर समुदाय के धार्मिक नेताओं, आर्कबिशप, बिशप, पादरियों और ननों सहित तमाम लोगों ने बड़े पैमाने पर एक विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया था.
गौरतलब है कि दिल्ली में लगे विश्व पुस्तक मेले में कई स्टॉल हैं, जो धार्मिक संगठनों द्वारा चलाए जाते हैं. हिंदू, मुस्लिम और सिख समूहों द्वारा चलाए जा रहे स्टॉल भी मुफ्त पम्फलेट, ग्रंथ और किताबें बांटते हैं.
दक्षिणपंथी संगठन के कार्यकर्ताओं ने गिडियंस इंटरनेशनल के स्टॉल पर जो किया, उससे पुस्तक मेले में भगवान राम पर किताबें बेच रहे अपूर्वा शाह सहमत नहीं हैं.
उन्होंने कहा, ‘जय श्री राम का नारा लगाना और किसी को धक्का देना राम का संदेश नहीं है. राम हमेशा शांति में विश्वास करते थे और भक्त कभी भी ‘गलत वचन’ या संदेश नहीं फैलाते थे, कल (बुधवार) जो कुछ भी हुआ वह गलत था.’
एक अन्य पुस्तक विक्रेता सुल्तान अशरफ ने कहा कि धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हमलों को देखते हुए उन्हें उम्मीद नहीं है कि दोषियों को दंडित किया जाएगा.
अशरफ ने कहा, ‘मुझे पता है कि जांच का फैसला क्या होगा, दोषियों को बख्शा जाएगा और निर्दोषों को फांसी दी जाएगी.’
द वायर ने टिप्पणी के लिए नेशनल बुक ट्रस्ट से भी संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली. उनसे प्रतिक्रिया मिलने पर इस रिपोर्ट को अपडेट किया जाएगा.