Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/load.php on line 926

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826
 दिल्ली हाईकोर्ट ने अर्णब गोस्वामी को फटकारा, कहा- मीडिया समानांतर सुनवाई नहीं कर सकता | dharmpath.com

Sunday , 24 November 2024

Home » ख़बरें अख़बारों-वेब से » दिल्ली हाईकोर्ट ने अर्णब गोस्वामी को फटकारा, कहा- मीडिया समानांतर सुनवाई नहीं कर सकता

दिल्ली हाईकोर्ट ने अर्णब गोस्वामी को फटकारा, कहा- मीडिया समानांतर सुनवाई नहीं कर सकता

September 12, 2020 9:35 am by: Category: ख़बरें अख़बारों-वेब से Comments Off on दिल्ली हाईकोर्ट ने अर्णब गोस्वामी को फटकारा, कहा- मीडिया समानांतर सुनवाई नहीं कर सकता A+ / A-

नई दिल्ली- दिल्ली हाईकोर्ट ने रिपब्लिक टीवी के संपादक अर्णब गोस्वामी को निर्देश दिया है कि सुनंदा पुष्कर मामले में कथित अपमानजनक प्रसारण पर रोक लगाने संबंधी शशि थरूर की याचिका पर सुनवाई पूरी होने तक वह संयम बरते हैं और बयानबाजी पर रोक लगाएं.

लाइव लॉ के अनुसार, गोस्वामी को जवाब दाखिल करने के लिए नोटिस जारी करते हुए जस्टिस मुक्ता गुप्ता की एकल पीठ ने कहा कि किसी आपराधिक मामले में जांच लंबित होने के दौरान मीडिया को समानांतर सुनवाई करने, किसी को दोषी कहने या निराधार दावे करने से बचना चाहिए.

अदालत ने कहा, ‘जांच और सबूतों की पवित्रता को समझा जाना चाहिए और उनका सम्मान करना चाहिए.’

यह आदेश शशि थरूर की उस याचिका पर आया, जिसमें उन्होंने रिपब्लिक टीवी के संपादक अर्णब गोस्वामी द्वारा सुनंदा पुष्कर की मौत से जुड़े मामले संबंधी प्रसारण पर अंतरिम रोक लगाने की मांग की थी.

याचिका में उन्होंने मांग की है कि गोस्वामी को मौजूदा मामले के लंबित रहने तक सुनंदा पुष्कर की हत्या के संबंध में कोई खबर रिपोर्ट करने या प्रसारित करने पर रोक लगाई जाए और किसी भी तरह से वादी को अपमानित करने या उनकी छवि धूमिल करने पर भी रोक लगाई जाए.

शशि थरूर की ओर से पेश होते हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने अदालत में कहा कि सुनंदा पुष्कर मामले में चार्जशीट दाखिल होने के बाद भी अर्णब गोस्वामी अपने कार्यक्रम में दावा कर रहे हैं कि उन्हें कोई शक नहीं है सुनंदा पुष्कर की हत्या हुई थी, जबकि चार्जशीट में हत्या का कोई मामला नहीं है.

सिब्बल ने इस ओर भी इशारा किया कि 1 दिसंबर, 2017 के इस अदालत के अंतिम आदेश के बाद भी गोस्वामी दिल्ली पुलिस की जांच पर भरोसा न होने की बात कहते हुए थरूर के खिलाफ अपमानजनक सामग्री का प्रसारण कर रहे हैं.

1 दिसंबर 2017 के आदेश में दिल्ली हाईकोर्ट ने गोस्वामी को संयम बरतने और मीडिया ट्रायल से बचने की सलाह दी थी.

सिब्बल ने कहा, ‘क्या एक सार्वजनिक बहस में किसी व्यक्ति को इस तरह से गाली दी जानी चाहिए? आखिर वह (गोस्वामी) कैसे कह सकते हैं कि हत्या की गई थी जबकि चार्जशीट कुछ और कहती है. जब तक अदालत मामले की सुनवाई कर रही है तब तक यह इस तरह से नहीं चल सकता है.’

अपने पिछले आदेश को संज्ञान में लेते हुए अदालत ने गोस्वामी को लताड़ लगाते हुए कहा, ‘जब चार्जशीट में आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया गया है, उसके बाद भी आप क्यों कह रहे हैं हत्या हुई थी. क्या आप मौके पर मौजूद थे या आप एक प्रत्यक्षदर्शी हैं? आपको आपराधिक जांच की पवित्रता और विभिन्न पहलूओं को समझना और उसका सम्मान करना चाहिए. केवल काटने का निशान होने का यह मतलब हत्या नहीं होता है. आपको पता भी है कि हत्या क्या होता है? हत्या होने का दावा करने से पहले आपको सबसे पहले समझना चाहिए कि हत्या क्या है?’

जब गोस्वामी की वकील मालविका त्रिवेदी ने कहा कि उनके पास एक एम्स डॉक्टर से मिला एक पुख्ता सबूत है, जो पुष्कर की हत्या की ओर इशारा करते हैं.

इस पर अदालत ने कहा, ‘आप सबूत जुटाने के क्षेत्र में काम नहीं कर रही हैं, आपको सबूतों तक पहुंचने का कोई अधिकार नहीं है. क्या आपको पता भी है कि कैसे सबूत इकट्ठा किया जाता है और आपराधिक सुनवाई में पेश किया जाता है? क्या चार्जशीट में जो कहा गया है उसके ऊपर मीडिया एक अपीलीय प्राधिकारी के रूप में कार्य कर सकता है? मीडिया पर कोई रोक नहीं है लेकिन इसके साथ ही कानून मीडिया ट्रायल पर रोक लगाता है.’

इसके बाद अदालत ने कहा कि जब जांच करने के लिए अधिकृत एक एजेंसी द्वारा चार्जशीट दायर की गई है और उसी का संज्ञान लेते हुए एक सक्षम अदालत प्रथमदृष्टया निष्कर्ष निकालती है कि मामले में आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला बनता है और हत्या का मामला नहीं है, तब प्रतिवादी पक्ष द्वारा थरूर द्वारा हत्या किए जाने को लेकर दिए गए बयान इस अदालत के पिछले आदेश के निर्देशों का उल्लंघन हैं.

अदालत ने कहा, ‘प्रेस को ऐसे आपराधिक मामलों की रिपोर्टिंग के दौरान सावधानी बरतनी चाहिए जिनमें जांच जारी है.’

इसलिए अदालत अर्णब गोस्वामी को निर्देश देती है कि वह अदालत के पिछले आदेश का पालन करें और मामले की अगली सुनवाई तक संयम बरतें.

अदालत ने कहा, ‘इसका सख्ती से पालन किया जाना चाहिए वरना परिणाम भुगतने पड़ेंगे.’

बता दें कि कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने मई, 2017 में दिल्ली हाईकोर्ट में अर्णब गोस्वामी और उसी साल शुरू हुए उनके न्यूज़ चैनल रिपब्लिक टीवी के ख़िलाफ़ मानहानि का मुक़दमा दायर किया था.

थरूर ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि उनकी पत्नी सुनंदा पुष्कर की मौत से जुड़ी ख़बर के प्रसारण के दौरान उनके ख़िलाफ़ मानहानिकारक टिप्पणियां की गईं. इसके लिए थरूर ने दो करोड़ रुपये के मुआवज़े की मांग की है.

थरूर ने यह अनुरोध भी किया था कि जब तक दिल्ली पुलिस की जांच पूरी नहीं हो जाए, चैनल पर उनकी पत्नी की मौत से संंबंधित किसी शो का प्रसारण नहीं हो.

इसके बाद फरवरी 2019 में थरूर की पत्नी सुनंदा पुष्कर की मौत की जांच से संबंधित गोपनीय दस्तावेजों की चोरी के आरोप में दिल्ली की एक अदालत ने रिपब्लिक टीवी और गोस्वामी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के आदेश दिए थे.

दिल्ली हाईकोर्ट ने अर्णब गोस्वामी को फटकारा, कहा- मीडिया समानांतर सुनवाई नहीं कर सकता Reviewed by on . नई दिल्ली- दिल्ली हाईकोर्ट ने रिपब्लिक टीवी के संपादक अर्णब गोस्वामी को निर्देश दिया है कि सुनंदा पुष्कर मामले में कथित अपमानजनक प्रसारण पर रोक लगाने संबंधी शशि नई दिल्ली- दिल्ली हाईकोर्ट ने रिपब्लिक टीवी के संपादक अर्णब गोस्वामी को निर्देश दिया है कि सुनंदा पुष्कर मामले में कथित अपमानजनक प्रसारण पर रोक लगाने संबंधी शशि Rating: 0
scroll to top