भोपाल – मप्र सरकार चुनावी पखवाड़े में जहाँ लोक-लुभावनी योजनाएं पेश कर रही है,वहीँ पूर्व से चल रही कई योजनाओं की राशि हितग्राहियों के खातों में महीनों से नहीं डाली जा रही है,जानकारी प्राप्त करने पर पता चला पूर्व से चल रही कई योजनाओं की राशि हितग्राहियों तक नहीं पहुँच रही है,लाड़ली बहना जैसी योजना के चलते कई योजनाओं का बजट इस चुनावी योजना की तरफ मोड़ दिया गया है।
रिजर्व बैंक की हाल में राज्यों को लेकर राज्यों की स्टेट फाइनेंसेज, स्टडी ऑफ बजट्स ऑफ 2022-23 प्रकाशित रिपोर्ट में राज्यों पर बढ़ते कर्ज को लेकर चिंता जताई गई है।
मध्य प्रदेश में वर्तमान में सरकार 3 लाख 85 हजार करोड़ के भारी भरकम कर्ज के बोझ तले दबी है। कर्ज इतना है कि सरकार हर साल केवल 24 हजार करोड़ का ब्याज भर रही है। वहीं चुनावी साल में लाड़ली बहना योजना सहित अन्य योजनाओं को जमीन पर उतारने के लिए सरकार को नए वित्तीय वर्ष 2023-24 में 55 हजार करोड़ के कर्ज लेने की जरूरत पड़ेगी, जो कि जीएसडीपी का 28 प्रतिशत है।
प्रदेश में प्रति व्यक्ति पर आज 50 हजार रुपए का कर्जा है। सरकार ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए 3.14 लाख करोड़ का बजट पेश किया। आर्थिक विशेषज्ञों के मुताबिक मध्य प्रदेश गंभीर आर्थिक संकट के दौर से गुजर रही है। मध्य प्रदेश की आर्थिक स्थिति को इस बात से समझा जा सकता है कि पिछले वर्ष 2022-2023 में राज्य ने 2.79 लाख करोड़ रुपये का वार्षिक बजट पेश किया था, तब सरकार पर 3.31 लाख करोड़ रुपए का बढ़ता कर्ज था। ऐसे में सवाल यह भी खड़ा हो रहा है कि सरकार लाड़ली बहना योजना के अंतर्गत 3 हजार रुपए देने के लिए इतनी भारी भरकम राशि का प्रबंध कहां से करेगी।