धर्मपथ–छत्तीसगढ़ में जगदलपुर के CSP देवनारायण पटेल आत्मसम्मान की ठेस को नहीं सहन कर पाये,यह सही नहीं कहा जा सकता की उन्होने अपने बच्चों के साथ अपनी पत्नी और परिवार को भी गोली मार दी,लेकिन यह प्रश्न सामने आ ही गया की आखिर यह समाज किस सडे-गले सिस्टम में जीने को मजबूर हो गया है.
यह घटना है एक अधिकारी के आत्मसम्मान की और देवता की तरह समाज में जीवन व्यतीत करने वाले न्यायाधीश के अहम की.आखिरकार अहम के आगे आत्मसम्मान को बलिदान देना पडा.पटेल को इस नक्कारखाने में अपनी आवाज सुनाने के लिये गोली चलानी पडी वाह भी अपने आप को आहुत करने हेतु और प्राण से भी प्यारे अपने नौनिहालों की आहुती देनी पडी.जी जज साहब से यह विवाद हुआ उन्होने पूरी ताकत लगा दी इस अधिकारी को निलम्बित करवाने में,उच्च अधिकारियों ने ना आव देखा ना ताव और अपनी ताकत दिखाते हुए इस कर्त्वयपरायण अधिकारी की बलि चढवा दी,आखिर कौन गुनाहगार हैं इस घटना के?राजनेता,अधिकारी,न्यायाधीश या भगवान?
इस घटना के लिये किसके विरुद्ध FIR होगी,किसे सजा होगी यह भविष्य कि गर्ट में है,क्या इस घटना के प्रति आवाज उठेगी,चौराहों पर मोमबत्तिया जलायी जायेंगी,होगा यह सब या जज साहब जिनका नाम तक इस खबरों में नहीं दिया गया जो इस घटना के मूल में हैं,जिनका अहम मूल में है,जिन्होने उस जांबाज CSP देवनारायण पटेल को निलम्बित करवाने में शूरता प्रदर्शित की,उन्हे इनाम मिलेगा या सजा या फिर उपरवाले के इंसाफ पर इंतजार करना होगा यह संज्ञान का विषय है.
यह आत्माहुति नहीं सरासर हत्या है,इंसाफ की,मानवता की,राम की एक नहीं कई रावणो द्वारा क्या यही न्याय का मन्दिर इस इंसाफ के लिये आवाज उठायेगा?