इस्लामाबाद। पाकिस्तान के पूर्व सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ की राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं पर पूरी तरह पानी फिर गया है। प्रांतीय हाई कोर्ट ने मंगलवार को आजीवन उनके चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी। जबकि एक अन्य अदालत ने भुट्टो हत्याकांड मामले में उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।
मुख्य न्यायाधीश दोस्त मुहम्मद खान की अध्यक्षता में पेशावर हाई कोर्ट की चार सदस्यीय पीठ ने नामांकन खारिज किए जाने के फैसले को चुनौती देने वाली मुशर्रफ की याचिका को खारिज करते हुए यह प्रतिबंध लगाया। उन पर यह प्रतिबंध संविधान को दो बार निरस्त करने और 2007 में आपातकाल लगाने के दौरान 60 जजों को नजरबंद करने के लिए लगाया गया है। यानी मुशर्रफ प्रांतीय, नेशनल असेंबली और सीनेट का चुनाव नहीं लड़ पाएंगे।
11 मई को होने वाले चुनाव के लिए उनकी योजना चार संसदीय सीटों-चित्राल, कराची, कसूर और इस्लामाबाद से चुनाव लड़ने की थी। मगर उनका नामांकन खारिज कर दिया गया था। पिछले महीने चुनाव में हिस्सा लेने के लिए ही मुशर्रफ चार साल के स्वनिर्वासन बाद पाकिस्तान लौटे थे। वह 2007 में आपातकाल लगाने, चीफ जस्टिस को बर्खास्त करने और 60 जजों को नजरबंद करने समेत कई मामलों में अदालती कार्यवाही का सामना कर रहे हैं।
ऑल पाकिस्तान मुस्लिम लीग के मुखिया मुशर्रफ 11 मई को आम चुनाव के दिन नजरबंद रहेंगे। रावलपिंडी की आतंकवाद निरोधी अदालत ने मंगलवार को भुट्टो हत्याकांड मामले में उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। संघीय जांच एजेंसी (एफआइए) के मुख्य अभियोजक चौधरी जुल्फिकार अली ने बताया कि अदालत ने पिछली सुनवाई के दौरान 30 अप्रैल को मुशर्रफ को पेश करने को कहा था, लेकिन सुरक्षा कारणों से उन्हें मंगलवार को जज के समक्ष पेश नहीं किया गया।
उन्हें इस्लामाबाद के बाहरी इलाके शक शहजाद में स्थित उनके फार्म हाउस में रखा जाएगा। उनके फार्म हाउस को पहले ही उपजेल घोषित किया जा चुका है। अली ने कहा, मुशर्रफ ने अपनी जिम्मेदारी दूसरे पर डालने की कोशिश की है, लेकिन ऐसे ठोस सुबूत एकत्र किए गए हैं जो उन्हें दोषी साबित करेंगे। जांच पूरी होने के बाद एफआइए उनकी हिरासत अवधि बढ़ाने की मांग नहीं करेगा। मामले की अगली सुनवाई 14 मई को होगी। पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की दिसबंर, 2007 में एक रैली के दौरान हत्या कर दी गई थी। मुशर्रफ पर उन्हें पर्याप्त सुरक्षा मुहैया नहीं कराने का आरोप है।