नई दिल्ली– उत्तर प्रदेश और बिहार में गंगा नदी में बहते सैकड़ों शव तो महज एक मिसाल हैं. पश्चिम बंगाल समेत कई राज्यों में तो गांवों में इतना आतंक है कि लोग डर के मारे न तो जांच कराने जा रहे हैं और न ही अस्पताल में भर्ती होने. वहां होने वाली मौतों को कोरोना से हुई मौतों की सूची में भी जगह नहीं मिल रही है. ऐसे में कोरोना के असली आंकड़े भयावह हो सकते हैं. अब कई शहरों में संक्रमण की दर घट रही है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में यह लगातार तेज हो रही है.
पर्याप्त जांच नहीं होने की वजह से देहाती इलाकों से असली आंकड़े भी सामने नहीं आ रहे हैं. एक तो जांच की सुविधा कम है और दूसरे आतंक के मारे लोग जांच कराने भी नहीं पहुंच रहे हैं. संक्रमण के लक्षण उभरने के बाद लोग नीम हकीमों से पूछ कर दवा खा रहे हैं. उनमें से कइयों की संक्रमण से मौत हो रही है. लेकिन ऐसे मृतकों को कोरोना से मरने वालों की सूची में शामिल नहीं किया जाता. इसलिए तमाम देशी-विदेशी अखबारो में दावे किए जा रहे हैं कि कोरोना से मरने वालो की तादाद सरकारी आंकड़ों के मुकाबले कम से कम दस गुनी ज्यादा है.
देश के कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित 24 में से 13 राज्य ऐसे हैं जहां अब ग्रामीण इलाको में संक्रमण तेजी से फैल रहा है. इनमें से कई जिले ऐसे हैं जहां हर दूसरा व्यक्ति पाजिटिव मिल रहा है. ऐसे मामलों में छत्तीसगढ़ पहले स्थान पर है जहां कुल मामलों में से 89 फीसदी ग्रामीण इलाकों से सामने आ रहे हैं. इसके बाद क्रमशः 79 और 76 फीसदी के साथ हिमाचल प्रदेश और बिहार का स्थान है. हरियाणा में 50 फीसदी मरीज शहरी और 50 फीसदी संक्रमित ग्रामीण इलाकों से हैं.
ऐसे राज्यों में ओडीशा के अलावा राजस्थान, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश और जम्मू-कश्मीर का भी स्थान है. पश्चिम बंगाल में कोरोना संक्रमण के मामले में उत्तर 24-परगना जिला अब राजधानी कोलकाता को टक्कर देने लगा है. जिले में रोजाना करीब चार हजार नए मामले सामने आ रहे हैं और औसतन 35 मरीजों की मौत हो रही है. इस जिले में अप्रैल की शुरुआत में रोजाना चार सौ नए मरीज आ रहे थे. लेकिन ग्रामीण इलाकों में संक्रमण बढ़ने की वजह से यह तादाद अब दस गुना बढ़ कर चार हजार तक पहुंच गई है.
उत्तर प्रदेश में भी ग्रामीण इलाकों में कोरोना मामलों में भारी इजाफा हुआ है. राज्य में लागू लॉकडाउन को बढ़ा दिया गया है. गुजरात सरकार ने 36 शहरों में रात का कर्फ्यू लगा दिया है, लेकिन गांवों में कोरोना की वजह से स्थिति भयावह होती जा रही है. मध्यप्रदेश के ग्रामीण इलाकों में भी हालत बिगड़ रही है. राज्य में 819 कोविड सेंटर हैं जिनमें से महज 69 ग्रामीण इलाकों में हैं.
बिहार में सरकार के लिए चिंता की बात यह है कि कोरोना ने अब गांवों को अपना ठिकाना बना लिया है. राज्य में 76 फीसदी से ज्यादा मामले गांवों से आ रहे हैं. गांवों में बड़े पैमाने पर टेस्ट की सुविधा नहीं है. आंकड़ों से साफ है कि ग्रामीण क्षेत्रों में हालात काफी तेजी से बिगड़े हैं. बिहार में 9 अप्रैल को कोरोना संक्रमण के कुल मामलों में शहरी इलाकों के 47 फीसदी और ग्रामीण इलाकों के 53 फीसदी थे. एक महीने बाद 9 मई को शहरी क्षेत्रों के मामले जहां 24 फीसदी पर आ गए, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में इनका अनुपात बढ़कर 76 फीसदी पर पहुंच गया. इसी तरह उत्तर प्रदेश में नौ अप्रैल को कुल संक्रमितों में ग्रामीण इलाकों का अनुपात 49 फीसदी था जो 9 मई को बढ़कर 65 फीसदी हो गया.