नयी दिल्ली:कांग्रेस ने एक दशक से भी कम समय में 107 फीसदी रेलवे किराये की बढ़ोतरी पर मोदी सरकार की आलोचना की और कहा कि कि रेलवे भारत के समाज और अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, ‘वसूली’ का साधन नहीं है.
द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रति किलोमीटर के लिए प्रति रेल यात्री औसत किराया 2013-14 में 0.32 रुपये से बढ़कर 2021-22 में 0.66 रुपये हो गया, जो 107 प्रतिशत की वृद्धि है – भारतीय रेलवे द्वारा रिपोर्ट किया गया एक तथ्य है, लेकिन रेल बजट खत्म होने के बाद शायद ही कभी इस पर प्रकाश डाला गया.
समय के साथ सेवाएं महंगी होती जाती हैं, लेकिन कीमतों को नियंत्रित करने के वादे पर सत्ता में आई सरकार के लिए किराये में 107 फीसदी की बढ़ोतरी सामान्य बात नहीं है. 2003-04 और 2013-14 के बीच मनमोहन सिंह सरकार के तहत प्रति यात्री प्रति किलोमीटर औसत किराया 0.24 रुपये से केवल 33 प्रतिशत बढ़कर 0.32 रुपये हो गया था.
कांग्रेस ने रविवार को इन आंकड़ों को जारी करते हुए कहा कि इससे यह उजागर हो सके कि कैसे बुलेट ट्रेनों के सपने और वंदे भारत के प्रचार ने नरेंद्र मोदी सरकार के तहत भारतीय रेलवे की असलियत को छिपा दिया है.
यह तर्क देते हुए कि रेलवे भारत के समाज और अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, ‘वसूली’ का साधन नहीं है, कांग्रेस संचार प्रमुख जयराम रमेश ने कहा, ‘किसी भी तरह का चालाक पीआर, मंत्रियों द्वारा सोशल मीडिया पोस्ट और भव्य घोषणाएं इस तरीके को छिपा नहीं सकती हैं. भारतीय रेलवे को पूरी तरह से कुप्रबंधित किया गया है.’