नई दिल्ली: कांग्रेस ने शुक्रवार को कहा कि हिंडनबर्ग-अडानी मामले पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त विशेषज्ञ समिति के निष्कर्षों को तोड़-मरोड़कर अडानी समूह को क्लीनचिट दिए जाने के रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास ‘पूरी तरह से बकवास’ है.
कांग्रेस महासचिव (संचार) जयराम रमेश ने अपने ट्विटर हैंडल पर पोस्ट किए गए एक बयान में कहा कि वास्तव में समिति के निष्कर्षों ने संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच के लिए उनकी मांग को और मजबूती दी है.
उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस यह लगातार कहती आ रही है कि सुप्रीम कोर्ट ने जिस विशेषज्ञ समिति का गठन किया है, उसका दायरा बेहद सीमित है और वह ‘मोदानी’ (मोदी+अडानी) घोटाले के सारे पहलुओं को सामने लाने में असमर्थ (और शायद अनिच्छुक भी) होगी.’
पांच बिंदुओं में अपनी बात रखते हुए रमेश ने कहा, ‘मोदी सरकार के दावों के विपरीत, समिति ने कहा है कि सेबी की ओर से मिले आंकड़ों और स्पष्टीकरणों को ध्यान में रखते हुए अभी निष्कर्ष निकालना संभव नहीं है, जिससे लाभ प्राप्त करने वाले को बचने में सुविधा मिलती है.’
उन्होंने कहा, ‘चूंकि उसके पास जो जानकारी है, उसके आधार पर कोई स्पष्ट निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता है, इसलिए समिति का कहना है कि सेबी द्वारा कोई नियामक विफलता नहीं हुई है.’
कांग्रेस नेता ने पृष्ठ संख्या 106 और 144 के दो अंशों को ट्विटर पर शेयर किया है, जो उनके कथनानुसार जेपीसी के गठन को मजबूती देते हैं.
उन्होंने लिखा, ‘सेबी खुद को ही विश्वास दिलाने में असमर्थ है कि एफपीआई (Foreign Portfolio Investment) फंड में योगदान देने वाले अडानी से जुड़े नहीं हैं’, जो हमें कम से कम 20,000 करोड़ रुपये के बहुत ही बड़े फंड के सवाल पर वापस लाता है.’
वे आगे कहते हैं, ‘जब शेयरों की कीमतें 1031 रुपये से 3859 रुपये पहुंच गई थी, तब एलआईसी 4.8 करोड़ शेयरों की खरीद के साथ अडानी सिक्योरिटीज का सबसे बड़ा खरीदार था. इससे सवाल उठता है कि एलआईसी किसके हित में काम कर रही थी.’
रमेश आगे कहते हैं, ‘हम कमेटी के सदस्यों की प्रतिष्ठा को देखते हुए इसकी रिपोर्ट पर और कुछ नहीं कहना चाहते हैं, सिवाय इसके कि इसके निष्कर्ष का पहले से ही अनुमान था. साथ ही, अडानी समूह को क्लीनचिट देने के लिए तमाम तरह की सीमाओं से बंधी इस समिति की रिपोर्ट को तोड़-मरोड़ कर पेश करना पूरी तरह से बकवास है.’