किसी भी संकाय के इंजीनियर ले सकेंगे लाभ डिग्रीधारी एक सितम्बर से कर सकेंगे ऑनलाइन आवेदन
प्रदेश के अधोसंरचना विकास कार्यों में योगदान के लिये युवा अभियंताओं की कान्ट्रेक्टर के रूप में क्षमता विकसित करने के उद्देश्य से ‘मुख्यमंत्री युवा इंजीनियर-कांट्रेक्टर योजना” तैयार की गई है। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा 16 जनवरी, 2013 को युवा पंचायत में की गई घोषणा के अनुपालन में 14 अगस्त 2013 को मंत्रि-परिषद् ने योजना को मंजूरी दी। इस संबंध में 23 अगस्त, 2013 को शासन ने आदेश भी जारी कर दिया है।
योजना के क्रियान्वयन के लिये लोक निर्माण विभाग को नोडल विभाग बनाया गया है। योजना में किसी भी संकाय के इंजीनियरिंग में डिग्रीधारी 500 युवा अभियंता को 6 माह का प्रशिक्षण (इन्टर्नशिप) दिया जायेगा। डिग्रीधारी इंजीनियर एक सितम्बर, 2013 से योजना का लाभ लेने के लिये ऑनलाइन आवेदन कर सकेंगे। इसके लिये वेबसाइट www.mppwd.gov.in पर सम्पर्क किया जा सकता है। अधिक जानकारी के लिये नोडल कार्यालय के दूरभाष क्रमांक 0755-2552769 पर भी नोडल अधिकारी श्री के.सी. अहिरवार से सम्पर्क कर सकते हैं। प्रारंभिक वर्ष में प्रायोगिक तौर पर 500 युवा अभियंता को प्रशिक्षण का लक्ष्य रखा गया है। आगामी वर्षों में लक्ष्य और उपलब्धि का पुनरावलोकन कर प्रतिवर्ष लक्ष्य निर्धारित किया जायेगा। प्रशिक्षण की छह माह की अवधि को तीन भाग में विभाजित किया गया है। इसमें दो माह एकेडेमिक ट्रेनिंग दी जायेगी। कार्यालयीन ज्ञान तथा विभाग के संबंध में जानकारी के लिये एक माह और मैदानी प्रशिक्षण तीन माह का होगा।
आर.सी.व्ही.पी. नरोन्हा प्रशासन अकादमी में एक मुख्य अभियंता के अधीन एकेडेमिक ट्रेनिंग का पृथक प्रकोष्ठ गठित किया जायेगा। प्रकोष्ठ द्वारा योजना में ट्रेनिंग का मॉड्यूल विकसित किया जायेगा। इसके लिए नेशनल इन्सटीट्यूट ऑफ कन्सट्रक्शन मैनेजमेंट हैदराबाद और इसके सदृश अन्य संस्थान से सहायता ली जा सकेगी। आने वाले समय में प्रदेश में ही निर्माण, प्रबंधन एवं उद्यमिता के क्षेत्र में पूर्णकालिक संस्थागत प्रशिक्षण की व्यवस्था की जायेगी। एकेडेमिक प्रशिक्षण के मध्य और अंत में परीक्षा के आधार पर प्रशिक्षुओं को प्रमाण-पत्र जारी किये जायेंगे। तीन चरण को सफलता से पूर्ण करने के बाद ही नोडल विभाग द्वारा प्रमाण-पत्र जारी किये जायेंगे। योजना में पात्र अभियंता सिर्फ एक बार ही प्रशिक्षण ले पायेंगे।
प्रशिक्षु को मध्यप्रदेश का मूल निवासी होना आवश्यक है। आवेदक डिग्री के 3 वर्ष के अंदर ही आवेदन कर सकता है। आवेदकों की संख्या अधिक होने पर प्रशिक्षु का चयन लॉटरी द्वारा किया जा सकेगा। प्रशिक्षुओं के चयन में राज्य सरकार द्वारा जारी सेवा भर्ती नियमों में अनुसूचित जाति, जनजाति और महिला वर्ग के लिये निर्धारित आरक्षण कोटे का पालन किया जायेगा।
प्रशिक्षण अवधि में स्नातक अभियंता को 5000 रुपये प्रतिमाह मानदेय दिया जायेगा। मैदानी प्रशिक्षण के समय मैदानी भत्ते के रूप में 2000 रुपये प्रतिमाह अतिरिक्त दिया जायेगा। मानदेय का भुगतान प्रकोष्ठ द्वारा सीधे प्रशिक्षणार्थियों के खाते में इलेक्ट्रानिकली ट्रांसफर कर किया जायेगा। इसके लिये लोक निर्माण विभाग के बजट में प्रशिक्षण मद में आवश्यक बजट का प्रावधान किया जायेगा।
योजना के क्रियान्वयन के लिये प्रशासनिक व्यवस्था लागू की गई है। इसके लिये प्रशासनिक विभाग जल संसाधन, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, ग्रामीण विकास, ऊर्जा, वाणिज्य एवं उद्योग, आवास एवं पर्यावरण, नगरीय प्रशासन और विकास, कृषि विकास, नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण आदि होंगे। इन विभाग में निगम, मण्डल, बोर्ड, कम्पनी, सार्वजनिक उपक्रम तथा ऐसे सभी उपक्रम जो निर्माण कार्य करते हैं, उनमें भी इस कार्यक्रम का क्रियान्वयन किया जा सकता है।
योजना में प्रशिक्षित युवा इंजीनियर कांट्रेक्टर को निविदा शर्तों में प्रावधान अनुसार उप ठेके (सब लेटिंग) के माध्यम से प्रतिष्ठित ठेकेदारों से भी जोड़ा जायेगा। प्राप्त अनुभव से युवा आगामी ठेके ले सकेंगे।
प्रशिक्षण के बाद युवा इंजीनियरों को राज्य शासन की केन्द्रीयकृत पंजीयन प्रणाली के अंतर्गत ‘सी’ श्रेणी में पंजीकृत किया जा सकेगा, लेकिन मध्यप्रदेश अनुज्ञापन मण्डल (विद्युत) विनियमन 1960 की पूर्ति के लिये विद्युत वितरण, ट्रांसमिशन और उत्पादन से संबंधित कार्यों के लिये ठेकेदारों को ‘ए’ और ‘बी’ श्रेणी के विद्युत लायसेंस धारक होने की आवश्यकता यथावत बनी रहेगी। योजना में प्रशिक्षित इंजीनियर मुख्यमंत्री युवा स्व-रोजगार योजना में 25 लाख रुपये तक ऋण प्राप्त कर सकेंगे।