योजना आयोग उपाध्यक्ष ने की मध्यप्रदेश के विकास की तारीफ, मुख्यमंत्री श्री चौहान ने विभिन्न कार्यों के लिये माँगा आयोग का सहयोग
मध्यप्रदेश के लिये वर्ष 2013-14 का वार्षिक योजना परिव्यय 35 हजार 500 करोड़ मंजूर हुआ है। यह गत वर्ष की तुलना में 23 प्रतिशत अधिक है। वार्षिक योजना को आज नई दिल्ली में मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की भारत के योजना आयोग के उपाध्यक्ष श्री मोन्टेक सिंह अहलूवालिया से बातचीत के बाद अंतिम रूप दिया गया। इस अवसर पर योजना एवं वित्त मंत्री श्री राघवजी और राज्य योजना आयोग के उपाध्यक्ष श्री बाबूलाल जैन भी उपस्थित थे।
वार्षिक योजना 2005-06 से 2012-13 |
|
राशि (करोड़ में) |
वर्ष |
2005-06 |
7471 |
2006-07 |
9100.66 |
2007-08 |
12011 |
2008-09 |
14061.19 |
2010-11 |
16174.16 |
2011-12 |
23000 |
2012-13 |
28000 |
बैठक में योजना आयोग के उपाध्यक्ष श्री अहलूवालिया ने कहा कि विकास के क्षेत्र में मध्यप्रदेश ने बहुत अच्छा काम किया है और योजना राशि का व्यय भी काफी संतोषजनक है। उन्होंने विशेषकर भौतिक एवं सामाजिक अधोसंरचना के विकास में जन-निजी भागीदारी (पीपीपी) की प्रशंसा की। उन्होंने इस बात का विशेष उल्लेख किया कि प्रदेश में पीपीपी मोड में 50 से अधिक परियोजनाएँ शुरू की गई हैं। श्री अहलूवालिया ने कहा कि 11वीं पंचवर्षीय योजना में मध्यप्रदेश की औसत सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 9.4 प्रतिशत रही है जो काफी उत्साहजनक और सकारात्मक है। कृषि के क्षेत्र में पंचवर्षीय योजना के दौरान 6.9 प्रतिशत, उद्योग क्षेत्र में 9.6 प्रतिशत और सेवा क्षेत्र में 10.6 प्रतिशत वृद्धि हुई जो 11वीं पंचवर्षीय योजना के लक्ष्य और अखिल भारतीय औसत से अधिक है। उन्होंने मध्यप्रदेश को संस्कृति और पर्यटन के क्षेत्र में और अधिक ध्यान देने का सुझाव दिया। उन्होंने कुछ सामाजिक-आर्थिक संकेतकों का जिक्र करते हुए कहा कि प्रदेश को प्रति व्यक्ति आय में और वृद्धि करनी चाहिये। उन्होंने 12वीं पंच-वर्षीय योजना के अंत तक साक्षरता दर में और वृद्धि तथा स्कूलों में दाखिले में बालक और बालिकाओं के अंतर को कम किये जाने पर जोर दिया। श्री अहलूवालिया ने गैर-कृषि गतिविधियों के माध्यम से रोजगार के अवसर निर्मित करने, बाल कुपोषण और महिलाओं में एनीमिया को और कम करने की आवश्यकता बताई।
बैठक में मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कोल ब्लॉक्स तथा कोल लिंकेजों के पर्याप्त आवंटन के साथ ही विद्युत परियोजनाओं के लिये वन संबंधी स्वीकृतियाँ दिलवाने में योजना आयोग से सहयोग मांगा। उन्होंने सर्व शिक्षा अभियान में वर्तमान फंडिंग व्यवस्था जारी रखने और अधोसंरचना संबंधी परियोजनाओं के लिये वायेबिलिटी गेप फंड की केन्द्रीय सहायता बढ़ाने में मदद की आयोग से अपेक्षा की। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश ने वर्ष 2014 तक पावर सरप्लस राज्य बनने का लक्ष्य रखा है। राज्य में घरेलू उपभोक्ताओं को 24 घंटे और कृषि कार्यों के लिये 10 घँटे बिजली की आपूर्ति की जायेगी। उन्होंने कहा कि ऊर्जा की मांग को पूरा करने के लिये मध्यप्रदेश में सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जल विद्युत तथा बायोमास ऊर्जा को महत्व दिया जा रहा है। प्रदेश में देश की सबसे बड़ी सौर ऊर्जा परियोजना का उद्घाटन अगस्त में हो जायेगा। प्रदेेश में पाँच सौर ऊर्जा पार्क पीपीपी मोड में विकसित किये जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश की विकास दर 10.02 प्रतिशत है। इसी तरह कृषि विकास दर भी गत वर्ष देश में सर्वाधिक आँकी गई। इस वर्ष भी इसके लगभग 16 प्रतिशत रहने की उम्मीद है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि निवेश को बढ़ाने के लिये औद्योगिक संवर्धन नीति 2012 लागू की गई है जिसमें निवेशकों को काफी प्रोत्साहन दिये गये हैं। नियमों और प्रक्रियाओं को सरल बनाया गया है। प्रदेश में चार नये औद्योगिक कॉरीडोर विकसित किये जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश में पीपीपी मोड में 9000 किलोमीटर सड़कों और 35 रेल ओव्हर ब्रिज निर्माण का कार्य हाथ में लिया गया है। साथ ही 13 औद्योगिक क्षेत्र के उन्नयन और 27 ग्रीन फील्ड इंडस्ट्रियल क्षेत्र के विकास का काम शुरू किया गया है। इनकी लागत 3,350 करोड़ रुपये है। इसके अलावा 12वीं योजना में 2,367 करोड़ लागत से पेयजल, अधोसंरचना, स्वच्छता, जलाशय और विरासत भवनों के संरक्षण का काम शुरू किया गया है।
योजना के मुख्य बिन्दु
वर्ष 2013-14 की वार्षिक योजना में सामाजिक सेवा क्षेत्र के लिये 40 प्रतिशत, पर्यटन और सड़क निर्माण के लिये 11 प्रतिशत, ऊर्जा के लिये 10 प्रतिशत, कृषि से जुड़ी गतिविधियों के लिये लगभग 10 प्रतिशत और शेष क्षेत्रों के लिये 18 प्रतिशत का प्रावधान किया गया है। इसी तरह पिछले वित्त की तुलना में वर्ष 2013-14 के लिये सहकारिता विभाग के बजट में लगभग 55 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति कल्याण के लिये 47.4 प्रतिशत, अनुसूचित जाति कल्याण के लिये 44.6 प्रतिशत और पिछड़ा वर्ग कल्याण के लिये 41.2 प्रतिशत की वृद्धि की गयी है। इसी प्रकार वन विभाग के बजट में 44.4 प्रतिशत, उद्योग विभाग के लिये 33.9 प्रतिशत और जल और सेनीटेशन के लिये 30.9 प्रतिशत की वृद्धि की गयी है।