चेन्नई। सीबीआइ ने आज सुबह एम करुणानिधि की अगुवाई वाली डीएमके पार्टी के यूपीए-टू सरकार से समर्थन वापस लेने के महज दो दिन के अंदर ही करुणानिधि के पुत्र एमके स्टालिन के घर पर छापा मारना शुरू किया था लेकिन विवाद को उठता देख फिलहाल के लिए छापेमारी को रोक दिया है। सीबीआइ ने 20 करोड़ के विदेशी कारों के अवैध आयात के मामले में छापा मारा था। इन अवैध कारों में एक कार स्टालिन के पुत्र के नाम पर दर्ज थी।
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो [सीबीआइ] ने राजस्व अन्वेषण निदेशालय [डीआरआई] की शिकायत पर करुणानिधि के छोटे पुत्र और पार्टी के उत्तराधिकारी स्टालिन के घर समेत 19 जगहों पर छापा मारा। लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और वित्त मंत्री पी चिंदबरम के सीबीआइ के छापे पर सवाल उठाए जाने के बाद देश की शीर्ष जांच एजेंसी ने छापेमारी रोक दी है। सीबीआइ की छापे की डीएमके और अन्य विपक्षी दलों की जबर्दस्त आलोचना की थी और इसे राजनीतिक बदले कार्रवाई करार दिया था। एमके स्टालिन के अभिनेता-निर्माता पुत्र उदयनिधि इस अवैध विदेशी कार का पिछले पांच से उपयोग कर रहे हैं और सीबीआइ पूरे मामले की जांच करने में जुटी थी। स्टालिन ने सीबीआइ के इस छापे को राजनीतिक बदले की कार्रवाई करार दिया और कहा कि उन्हें निशाना बनाया जा रहा है। यह पूरी तरह से स्पष्ट है कि उन्हें क्यों निशाना बनाया जा रहा है। स्टालिन ने कहा, ‘यह राजनीतिक बदले की कार्रवाई है। यूपीए के बाहर आने के कारण ऐसी कार्रवाई की गई है। हम कानून के मुताबिक लड़ेंगे।’ मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी ने भी सीबीआइ के छापे की टाइमिंग पर सवाल उठाए। पार्टी प्रवक्ता प्रकाश जावेड़कर ने कहा कि पार्टी इस मुद्दे को संसद में उठाएगी। छापे की खबर सुनकर डीएमके के कार्यकर्ता स्टालिन के घर के बाहर जमा होने लगे थे।
दूसरी ओर, वित्त मंत्री और तमिलनाडु के ही नेता पी चिंदबरम ने सीबीआइ छापे पर अपनी आपत्ति जताते हुए कहा, ‘मैं डीएमके के नेता स्टालिन पर सीबीआइ कार्रवाई का पूरी तरह से असहमत हूं। मुझे नहीं पता कि इसके पीछे क्या कारण हो सकते हैं। मुझे डर है कि इसका गलत अर्थ निकाला जा सकता है। मैंने मिनिस्टर इनंचार्ज को बता दिया है।’ डीएमके के एक अन्य नेता टी आर बालू ने भी इस छापे पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हर कोई समझ सकता है कि कांग्रेस सरकार कैसे काम कर रही है। उसका व्यवहार कैसा है। यह केवल राजनीतिक बदले की कार्रवाई है। सीबीआइ को सब कुछ करने देते हैं। हम इससे चिंतित नहीं हैं। हर कोई समझ सकता है कि कांग्रेस किस स्तर तक गिर सकती है।
यह केस एक जांच एजेंसी के जरिए दर्ज किया गया था लेकिन यह अभी तक स्पष्ट नहीं हो सका है कि इसके पीछे किसका हाथ है। द्रविड़ मुनेत्र कड़गम [डीएमके] ने मंगलवार को यूपीए सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। डीएमके चाहता था कि सरकार संसद में श्रीलंका के खिलाफ प्रस्ताव लाए लेकिन ऐसा करने से मना करने पर पार्टी ने बुधवार को मनमोहन सिंह सरकार में शामिल पांच मंत्रियों का इस्तीफा दिलाकर समर्थन वापस ले लिया था।