सिख का अर्थ है शिष्य
सिख धर्म का उदय गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं के साथ होता है। सिख का अर्थ है शिष्य। जो लोग गुरु नानक जी की शिक्षाओं पर चलते गए, वे सिख हो गए। गुरु नानक देव जी का जन्म 1469 ईस्वी मे ...
Read More »विशेषताओं से भरा तालाब पाताल गंगा
मऊ। स्थानीय तहसील क्षेत्र के ग्रामसभा दरगाह में महान सूफी सैयद मीरा शाह बाबा की मजार के बगल में स्थित तालाब अपनी स्थापना से लेकर अब तक लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र बना हुआ है। ...
Read More »मानसिक रोगों से मुक्ति दिलाते बाबा बड़भाग सिंह जी
गोंदपुर बनेहड़ा। उत्तर भारत का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल डेरा बाबा बड़भाग सिंह जी की तपस्थली मैड़ी ऊना जिला मुख्यालय से 42 किलामीटर दूर तथा तलवाड़ा (पंजाब) से 45 किलोमीटर दूरी पर स्थि ...
Read More »शिष्य की परिभाषा
शिष्य वह है जो अपने जीवन को उत्कर्ष की और ले जाए, जो मोह और अज्ञान- से अपने आपको बाहर निकालना चाहता है, ऐसे शिष्य को गुरु यदि उपदेश देता है तो उसे कुछ लाभ भी होता है। जिसके जीवन म ...
Read More »नशे की लत
नदी के तट पर कुटिया में एक संत रहते थे। किसी कंपनी का एक अधिकारी संत के पास पहुंचा। संत नदी के किनारे रेत पर टहल रहे थे। अधिकारी बोला - मैं सिगरेट छोड़ना चाहता हूं, लेकिन छोड़ ही ...
Read More »परमात्मा उसीका है, जो पाना जानता है
मनुष्य को वस्तुओं की कद्र करना सीखना ही चाहिए । काम में आनेवाली वस्तुएं इधर-उधर पड़ी रहें, यह ठीक नहीं है । किसी घर में वषरें से एक पुराना साज पड़ा था । उसने घर के कोने में जगह रो ...
Read More »कितने रुप और रस होते हैं सत्य के?
सत्य का कोई एक रस नहीं होता। सत्य के अपने रुप हैं, अपने रंग हैं। हमारे जीवन में सत्य हर बार अलग परिस्थिति में किसी भिन्न रुप में उतरता है। सत्य के नौ रस हैं। सत्य हमेशा विजयी होता ...
Read More »जीवन में आनंद कब आता है…
हर इंसान को दानी बनना चाहिए। दानी धन के नहीं बल्कि ज्ञान के, दुख के नहीं बल्कि सुख के, अशांति के नहीं बल्कि शांति के। उदासी का नहीं बल्कि प्रेम का दान करो। सेवा, साधना व सत्संग एक ...
Read More »जो लोग ताकत का दुरुपयोग करते हैं उनका होता है ऐसा हाल
पुराणों में मां दुर्गा द्वारा महिषासुर नाम के राक्षस के वध की कथा आती है। महिषासुर ने अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करना शुरू कर दिया। उसके बुरे कामों और विचारों का आतंक इतना बढ़ चुका ...
Read More »जीवन की उत्कृष्टता और सार्थकता
सुख प्राप्ति की चेष्टा प्रत्येक मनुष्य करता है। वह जीवन रूपी घड़ी की सुई की तरह क्रियाशील रहता है। क्रियाशील न रहने वाला मनुष्य जीवित रहते हुए भी मृत्यु के समान है। सुख का आधार मन ...
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