पंद्रहवीं शताब्दी में सनातन कि स्थिति और संतों का प्रादुर्भाव
पंद्रहवीं शताब्दी में काशी कि धार्मिक स्थिति संकटकाल से गुजर रही थी। बनारस का वैदिक धर्म इतना रूढ़िग्रस्त हो गया था कि उसमें किसी तरह के सुधार कि ओर लोगों का ध्यान नहीं जाता था। तत ...
Read More »एकादशी महत्व
तुलसी विवाह,,कार्तिक मान के शुक्ल पक्ष एकादशी के दिन, जिसे कि देव प्रबोधनी एकादशी, देव उत्थान एकादशी तथा देव उठनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है, क्षीरसागर में शेषशय्या पर शयन क ...
Read More »प्रभात झा भूले,छठ और बिहारियों को – परहेज हुआ मछली,दही और रसगुल्ले के परंपरागत भोज से
अनिल सिंह (भोपाल)-- आपको यह जान कर आश्चर्य होगा की मध्यप्रदेश कोटे से राज्यसभा सांसद,भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष छठ - पूजन मानते तो हैं लेकिन अपने ज ...
Read More »लालू के बिना मनाई राबड़ी ने छठ
बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी तीन साल बाद पटना में छठ कर रही हैं.शादी के बाद राबड़ी देवी के लिए ये पहला मौका है जब वे अपने पति और राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के बगैर छठ ...
Read More »राष्ट्रोत्थान के साथ व्यक्ति के चरित्र निर्माण का कार्य संघ का लक्ष्य- शिवराम समदडिया राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ का शस्त्र पूजन,पथ संचलन कार्यक्रम सम्पन्न घोष की धून पर सैकडों स्वयंसेवकों ने किया कदमताल
डॉ लक्ष्मीनारायण वैष्णव /दमोह/ देश का प्रत्येक व्यक्ति चरित्रवान एवं राष्ट्रोत्थान के लिये कार्य करने वाला बने यह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का लक्ष्य है जिसको लेकर वह लगातार कार्य क ...
Read More »प्रमुख सचिव गृह आरएम श्रीवास्तव को हटा दिया
लखनऊ--राज्य सरकार ने मंगलवार को प्रदेश की प्रशासनिक व्यवस्था में बड़ा फेरबदल करते हुए प्रमुख सचिव गृह आरएम श्रीवास्तव को हटा दिया। उनकी जगह अनिल कुमार गुप्ता को नियुक्त कर दिया है ...
Read More »चन्द्रमा की तरह आपका जीवन न बनेः सुधांशु जी महाराज
संसार सागर में अंधेरे और उजाले दोनों हैं। यह जरूरी नहीं कि जो आप अपने इन बाहर खुले हुए नेत्रों से देख रहे हैं, जो दृश्य साफ-साफ दिखाई दे रहा है वह सत्य का ही उजाला हो। उस चमकते हु ...
Read More »चांद पर पहुंच गए तो क्या फायदा होगा: ओशो
ध्यान कोमल प्रक्रिया है। जैसे कोई फूल! और तुम्हारे मन की आदतें जड़ चट्टानों की तरह हैं-बहुत वजनी, बहुत भारी, बहुत कठोर। पर घबड़ाओं मत, वे मृत हैं और तुम्हारा फूल जैसा ध्यान जीवंत ...
Read More »मृत्यु से अमृत की ओर यात्रा कीजिएः ओशो
जीवन एक यात्रा है। यात्रा है-मृत्यु से अमृत की ओर; अंधकार से प्रकाश की ओर; व्यर्थ से सार्थक की ओर। एक शब्द में पदार्थ से परमात्मा की ओर। इस यात्रा में वे सारे लोग जो बाहर तलाश रहे ...
Read More »संसार में कुछ भी अच्छा या बुरा नहीं: आनंदमूर्ति गुरू मां
मानव मन में सहज प्रवृति होती है कि वह किसी चीज को अच्छा कहता तो किसी को बुरा। जबकि संसार में कुछ भी अच्छा या बुरा नहीं है। हर बात दूसरी किसी बात के परिप्रेक्ष्य में अच्छी या बुरी ...
Read More »