हमारे रहन-सहन और जीवनशैली पर पाश्चात्य जीवनशैली का असर तेजी से होता जा रहा है। हम बिना किसी सोच विचार के अंधानुकरण करते हुए उन चीजों को भी अपनाते जा रहे हैं जो हमारे लिए नुकसानदेय है। जन्मदिन के मौके पर केक काटना और मोमबत्ती बुझाना भी इसी तरह का एक अनुकरण है जो हमारे लिए नुकसानदेय हो सकता है।
आह्निक सूत्रावली में लिखा है कि
नैवं निर्वाणयेद् दीपं, देवार्थ मुपकल्पितम्। दीपहर्ता भवेदंधां, काणो निर्वाणको भवेते।।
अर्थात गलती से भी शुभ कार्य के निमित्त जलाए गये दीपक को बुझाने पर व्यक्ति की आंखों की रोशनी प्रभावित होती है। जो व्यक्ति इस कार्य में सहायक होता है वह काना होता है और इसका प्रभाव उसकी सात पीढ़ियों तक पड़ता है।
हिन्दू धर्म में दीपक को अग्नि देव का स्वरूप माना गया है। अग्नि देव की उपस्थिति से नकारात्मक उर्जा एवं बुरी शक्तियां दूर रहती हैं। आत्मा प्रकाशित होती है और सात्विक गुणों में वृद्धि होती है। उपनिषद् में लिखा है कि
‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’
इसका अर्थ है अंधेरे से प्रकाश की ओर चलो।
प्रकाश नूतनता और नवीनता का सूचक है। जन्मदिन के मौके पर दीपक या मोमबत्ती बुझाने से हम आने वाले समय को नकारात्मकता की ओर ले जाते हैं। इसलिए सही होगा कि जीवन में प्रगति और नवीनता के लिए जन्मदिन पर मोमबत्ती बुझाने की बजाय भगवान के सामने घी का दीप जलाएं।
जन्मदिन के दिन प्रातः उठकर स्नान ध्यान करके माता-पिता एवं गुरुजनों को प्रणाम करें। जरूरतमंद व्यक्तियों को दान और भोजन दान करें। उपहार लेने की बजाय जरूरतमंदों को अपने सामर्थ्य के अनुसार उपहार देकर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें। इस तरह जन्मदिन मनाएंगे तो मन में सात्विक और सकारात्मक भाव विकसित होगा और निरंतर आगे की ओर बढ़ते रहेंगे।