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 कमलनाथ सरकार के सामने बेहतर बजट प्रस्तुत करना चुनौती,फिजूलखर्ची में घिरी सरकार,पत्रकारिता संस्थानों की स्थिति बदहाल (पेश है एक रिपोर्ट) | dharmpath.com

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कमलनाथ सरकार के सामने बेहतर बजट प्रस्तुत करना चुनौती,फिजूलखर्ची में घिरी सरकार,पत्रकारिता संस्थानों की स्थिति बदहाल (पेश है एक रिपोर्ट)

July 10, 2019 10:00 am by: Category: राज्य का पन्ना Comments Off on कमलनाथ सरकार के सामने बेहतर बजट प्रस्तुत करना चुनौती,फिजूलखर्ची में घिरी सरकार,पत्रकारिता संस्थानों की स्थिति बदहाल (पेश है एक रिपोर्ट) A+ / A-

मध्यप्रदेश में भाजपा को पदच्युत कर अब कांग्रेस सत्ता में है,आज कमलनाथ सरकार अपना पहला बजट प्रस्तुत करने जा रही है,विधानसभा सत्र के प्रश्नोत्तर काल में यह स्पष्ट दिखने लगा है की पूर्व भाजपा सरकार के नेताओं ने अफसरों के साथ मिल कितना झूठ बोला एवं जनता को बेवकूफ बनाया जाता रहा आज विपक्षी दल भाजपा के विधायक जो प्रश्न पूछ रहे हैं उनके उत्तरों से उनकी ही पार्टी की थू-थू हो रही है इसका तोड़ भाजपा के अगुआ नेताओं ने निरर्थक बहस एवं हंगामों के रूप में निकाला है.स्वास्थ्य सुविधाएं ,किसानों की समस्याएं एवं जनसुविधाओं को लेकर किये जा रहे प्रश्नों पर जब कांग्रेसी मंत्री यह कह हमला करते हैं की यह सब समस्याएं आपकी 15 वर्षीय सरकारों की देन हैं लेकिन आपके मुखिया ने ऐसा माहौल बना रखा था की सब ठीक है लेकिन उन्हें पता नहीं था की सत्ता बदल भी सकती है इस स्थिति से असहज भाजपा विधायक निरुत्तर हो रहे हैं एवं उनके नेताओं ने इस स्थिति से बचने के लिए सदन में निरर्थक टोका-टोकी एवं बहिर्गमन को हथियार बनाया हुआ है।

पूर्व भाजपा सरकार ने मध्यप्रदेश को बदहाल किया

नीति आयोग की आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के आते ही कांग्रेस ने पूर्व भाजपा सरकार की नीतियों एवं पेश किये झूठे आंकड़ों के दावों को लेकर प्रेस कांफ्रेंस कर हमला किया लेकिन उसमें सुधार क्या किया जाएगा या किन बिंदुओं पर कार्य कांग्रेस सरकार करेगी को लेकर कोई ठोस जवाब देने में वे असमर्थ रहे.कांग्रेस की प्रेस कांफ्रेस इस तरह प्रतीत हुयी जैसी वे सत्ता में आने के संघर्ष के दौरान करते रहे थे उन पर विपक्षी होने का बोझ इस कांफ्रेंस में नजर आया.

मुख्यमंत्री कमलनाथ के समक्ष हैं विराट समस्याएं

बदहाल मध्यप्रदेश को सुचारु या समृद्ध प्रदेश बनाने का दावा इस रिपोर्ट के आने के बाद दिखने लगा है की वर्तमान सरकार के लिए कितना कठिन है,कर्ज में दूदे मध्यप्रदेश को पुनः कर्ज ले चलाने का प्रयास करते कमलनाथ क्या दिखा पाएंगे की वे एक सफल राजनेता के साथ सफल व्यवसायी जिन्होंने अपने पुत्र के नाम 600 करोड़ का साम्राज्य खड़ा करने में सफलता पायी है.भले ही लोकसभा चुनाव में कांग्रेस एवं मध्यप्रदेश को कमलनाथ न उबार पाए हों लेकिन अपनी पुत्र की राजनैतिक एवं आर्थिक नैया के सफल खेवनहार कमलनाथ सिद्ध हुए हैं.

किसान कर्जमाफी का वादा है बड़ा मुद्दा

कमलनाथ सरकार के ऊपर सबसे बड़ी जिम्मेदारी किसान कर्जमाफी की है इसमें असफल रहने से ही मध्यप्रदेश लोकसभा चुनाव में कुछ सीटें हाथों से निकल गयीं यह भी सत्य है की यदि आज की स्थिति में चुनाव हो जाएँ तो भाजपा को पुनः सरकार बनाने से रोका नहीं जा सकता है.
फिजूलखर्ची में कमलनाथ सरकार आगे

फिजूलखर्ची रोकने का दम भरने वाली यह सरकार मंत्रियों एवं उनके कारिंदों के आवास संधारण में करोड़ों रूपये खर्च कर झूठी साबित पहले ही हो चुकी है।

कमलनाथ सरकार की आर्थिक बदहाली के खामियाजे का असर पत्रकारिता संस्थानों पर पड़ा

कमलनाथ सरकार के सत्ता में आते ही अधिकारीयों ने उसे बदनाम करने के खेल में पलीता लगा दिया,स्थानीय पत्रकारिता संस्थानों को सुचारु रूप से चलाने में शासकीय आर्थिक सहायता का बडा हाथ होता है लेकिन पिछले 9 महीनों में डिजिटल मीडिया,इलेक्ट्रानिक मीडिया एवं प्रिंट मीडिया बदहाली के दौर में पहुँच चुके हैं.मुख्यमंत्री कमलनाथ अधिकारीयों को स्पष्ट निर्देश दे चुके हैं लेकिन अधिकारीयों ने अपने मकड़जाल में इस समस्या को उलझाया हुआ है.

योजनाओं के क्रियान्वयन में अधिकारी नहीं ले रहे रूचि,प्रशासनिक भ्रष्टाचार में डूबे अधिकारी ,तबादलों में सरकार

मुख्यमंत्री के समक्ष बड़ी समस्या अधिकारीयों से कार्य करवाने की है जिसमें सरकार अभी तक असफल रही है ,इसका सबूत विधानसभा में दिए जा रहे प्रश्नों के उत्तर से प्रतीत होता है अधिकांश प्रश्नों के उत्तर गलत दिए जा रहे हैं इसी तारतम्य में विधानसभा अध्यक्ष को मजबूर हो जांच रिपोर्ट दो घंटे में सदन की पटल पर रखने का आदेश देना पड़ा और उसमें प्रश्नकर्ता विधायक की बात सत्य साबित हुयी।

पेट्रोलियम पदार्थों में मूल्य केंद्र सरकार के साथ ही कर कांग्रेस सरकार 3000 करोड़ के राजस्व की पहले ही व्यवस्था कर चुकी है लेकिन इतना ही नुक्सान केंद्र सरकार ने मप्र सरकार की सहायता राशि में कटौती कर पूरा कर दिया है अतः कमलनाथ सरकार के सामने राज्य का खर्च एवं नागरिकों के लिए बेहतर बजट प्रस्तुत करने की बड़ी चुनौती खडी है देखना यह है सरकार इसमें कितनी सफल होती है.

 

अनिल कुमार सिंह (धर्मपथ के लिए)

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