बेंगलुरु. कर्नाटक के निवर्तमान मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनावों में पार्टी की हार पर कहा कि कांग्रेस ने अपना प्रचार अभियान जल्दी शुरू कर दिया था और इस वजह से राज्य में भाजपा का संदेश सही तरीके से प्रसारित नहीं हो पाया. प्रदेश की 224 सदस्यीय विधानसभा के लिए 10 मई को हुए चुनाव में कांग्रेस ने 135 सीट पर जीत हासिल की, जबकि सत्तारूढ़ भाजपा सिर्फ 66 सीटों पर सिमट गई और पूर्व प्रधानमंत्री एच. डी. देवेगौड़ा के नेतृत्व वाले जनता दल (सेक्युलर) के खाते में केवल 19 सीटें ही आईं.
बोम्मई ने कांग्रेस की जीत के तीन कारण बताए. उन्होंने कहा, लोग ‘मुफ्त उपहारों के बहकावे में हैं’. उन्होंने एनडीटीवी को एक विशेष साक्षात्कार में बताया, ‘फिर, व्यक्तिगत रूप से मुझे लगता है कि कांग्रेस अधिक संगठित थी और उसने अपना कैम्पेन पहले शुरू कर दिया था, जो कि भाजपा किया करती थी… हमने अपने फैसले थोड़ी देर से लिए, देर से काम किया.’ उन्होंने आगे कहा, ‘अंत में, हालांकि भाजपा सरकार ने बहुत सारे कार्यक्रम आयोजित किए, लेकिन सही संदेश लोगों तक नहीं गया… (सरकार के) बड़े फैसले लोगों तक नहीं पहुंच पाए.’
यह बताते हुए कि भाजपा का वोट शेयर नहीं बदला है, उन्होंने कहा कि दक्षिणी कर्नाटक में जहां पार्टी की पैठ थी, जो कि जेडीएस का गढ़ है, ने भी कांग्रेस की मदद की है. उन्होंने कहा, ‘जेडीएस के पांच फीसदी वोट कांग्रेस की ओर चले गए.’ भाजपा ने 2018 से अपना 36 प्रतिशत वोट शेयर बनाए रखा है, लेकिन कांग्रेस का वोट शेयर 38.1 प्रतिशत से बढ़कर 42.9 प्रतिशत हो गया, जबकि जेडीए के वोट 18.3 से घटकर 13.3 फीसदी रह गए.
पार्टी की भविष्य की रणनीति को लेकर बोम्मई ने कहा कि भाजपा खेमे में स्थिति में सुधार होने में कुछ महीने लगेंगे. उन्होंने कहा, ‘मैं हार की सारी जिम्मेदारी लेता हूं. एक नेता को दोष लेना चाहिए. तभी चीजें आगे बढ़ सकती हैं… बड़ी बात यह है कि हमें पार्टी को लोकसभा चुनाव के लिए काफी पहले तैयार करना होगा. हमें नया खून लाना होगा और सभी स्तरों पर नई सोच को जगह देनी होगी. हमें अपने कार्यकर्ताओं का कायाकल्प करना होगा. ये सारी चीजें तीन से छह महीने के भीतर बदल जाएंगी, जिससे हमारी मदद होगी.’ कर्नाटक में लोकसभा की 28 सीटें हैं, जिससे यह राज्य सभी दलों के लिए बेहद अहम हो जाता है.
विपक्ष के नेता के पद के बारे में पूछे जाने पर, बोम्मई ने कहा कि वह पार्टी के अभियान को आगे बढ़ाएंगे चाहे उनके पास कोई पद हो या न हो. बता दें कि बोम्मई सदन में भाजपा के सबसे वरिष्ठ विधायकों में से एक हैं. उन्होंने कहा, ‘एक जिम्मेदार व्यक्ति के तौर पर मैं पद की तरफ नहीं जाता… चाहे मुझे विपक्ष का नेता बना दिया जाए. हार की पूरी जिम्मेदारी मुझ पर है… मैं दो साल मुख्यमंत्री रहा हूं और कई अच्छी योजनाएं दी हैं. मुझे इसे एक बार फिर लोगों के सामने लेकर जाना है.’