रांची। बोधगया (बिहार) में रविवार को हुए सीरियल बम ब्लास्ट के बाद झारखंड में अलर्ट जारी किया गया है। पहले से जारी सुरक्षा व्यवस्था और कड़ी कर दी गई है। देवघर स्थित बाबा मंदिर सहित प्रदेश के महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों पर पहले की अपेक्षा सुरक्षा में तैनात जवानों को विशेष तौर पर सतर्क रहने को कहा गया है। संवेदनशील स्थलों की सुरक्षा को ले पुलिस गश्त तेज की गई है। कुछ स्थानों पर पहले से तैनात सुरक्षाबलों में कुछ परिवर्तन किया गया है। वहीं देवघर मंदिर सहित अन्य स्थानों पर पहले से सुरक्षा में तैनात जवानों की संख्या बढ़ा दी गई है।
रांची, धनबाद, जमशेदपुर, जसीडीह सहित अन्य रेलवे स्टेशनों, बस पड़ाव, सरकारी दफ्तरों, वीआइपी आवास के अलावा भीड़-भाड़ इलाकों में पुलिस को सतर्कता बढ़ाने को कहा गया है। औद्योगिक क्षेत्रों में सुरक्षा कड़ी करने की हिदायत दी गई है।
देवघर बाबा मंदिर पर आतंकी हमले को ले खुफिया विभाग ने राज्य पुलिस पूर्व में आगाह किया था। उसके बाद से ही वहां सुरक्षा बढ़ा दी गई थी। विशेष शाखा के एडीजी रेजी डुंगडुंग के अनुसार केंद्र सरकार से सुरक्षा संबंधी चौकसी के निर्देशों के तहत संवेदनशील स्थलों पर पहले से ही सतर्कता बरती जा रही है। बोधगया की घटना के बाद मुख्यालय स्तर से अलर्ट जारी किया गया है।
इन मंदिरों की बढ़ी सुरक्षा :
-देवघर बाबा बैद्यनाथ धाम, दुमका का वासुकीनाथ धाम, रामगढ़ का रजरप्पा मंदिर, चतरा स्थितभद्रकाली मंदिर, रांची के दिउड़ी मंदिर व पहाड़ी मंदिर, गिरिडीह में जैनियों का तीर्थ स्थल मधुबन, गढ़वा का वंशीधर मंदिर और खूंटी के आम्रेश्वर धाम आदि मंदिर शामिल हैं।
‘राज्य में पहले से भी सुरक्षा को ले सतर्कता बरती जा रही है। लेकिन बोधगया की घटना के बाद देवघर बाबा मंदिर सहित अन्य महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों, रेलवे, एयरपोर्ट और संवेदनशील इलाकों की सुरक्षा बढ़ाने का निर्देश सभी जिले की पुलिस को विभागीय स्तर पर दिया गया है।’
-आनंद शंकर, राज्यपाल के सलाहकार, झारखंड
बोधगया मंदिर परिसर के भीतर नजर रखने का कोई इंतजाम नहीं-
बोधगया। इसे संयोग कहिए या फिर महात्मा बुद्ध की ज्ञानस्थली की करुणा। जिस वक्त महाबोधिसत्व मंदिर में सीरियल बम ब्लास्ट हुआ, उस वक्त मंदिर परिसर में काफी कम लोग थे। सुबह के साढ़े पांच बजे थे और दैनिक पूजा की तैयारी चल रही थी।
जिस हिसाब से आतंकियों ने मंदिर परिसर में अपनी पहुंच बना रखी थी उसे देख कोई भी व्यक्ति सहजता से इसका अंदाजा लगा सकता है कि अगर मंदिर के भीतर थोड़ी भी भीड़ होती तो दृश्य कुछ और होता। चार विस्फोट मंदिर परिसर के चारों कोने पर हुए हैं। एक तरह से पूरा परिसर आतंकियों के कब्जे में था।
ऐसा लगता है कि आतंकियों ने बड़े स्तर पर इस परिसर की रेकी कर रखी थी। मंदिर परिसर के भीतर जहां भगवान बुद्ध की प्रतिमा है उसके भीतर आतंकी क्यों नहीं गए, जांच में यह बात सामने आनी है। इस मंदिर के ठीक पीछे भगवान बुद्ध के चरणस्थल हैं और यहीं पर बोधिवृक्ष की भी पूजा होती है। यहां पहुंचने के पहले भी सुरक्षाकर्मी की अनुमति लेनी होती है। इतनी सुबह कोई व्यक्ति बौद्ध भिक्षु के लिबास पहने बगैर आसानी से इधर नहीं आ सकता क्योंकि यह पर्यटकों का समय नहीं। इसलिए ऐसा लगता है कि जिसने बम लगाए उसने अपना लिबास भी कुछ इस तरह से रखा हुआ था कि किसी को शक न हो।
वैसे सीसीटीवी के फुटेज पुलिस के पास है और इसे खंगालने की बात कही जा रही है। सबसे पहला धमाका इसी बोधिवृक्ष के समीप हुआ जहां पूजा की तैयारी में लगे दो भंते जख्मी भी हुए। जिस वक्त विस्फोट हुआ उस वक्त वहां मौजूद भंते शीला रक्षित जो कोलकाता से दो दिन पहले यहां पहुंचे हैं ने बताया कि उन लोगों ने आवाज सुनी तो लगा कि जेनरेटर फटा है। इस विस्फोट के तुरंत बाद मंदिर परिसर के दूसरी दिशा में विस्फोट हुआ जो रत्नागिरी मंदिर के पास है। यहां छोटी जगह है और मंदिर के पीछे बने फुटपाथ पर बौद्ध भिक्षु बैठते हैं। रत्नागिरी के बाद तीसरा विस्फोट महाबोधि मंदिर के ऊपरी हिस्से अनिमेषलोचन के पास हुआ। अनिमेषलोचन मंदिर परिसर से बाहर निकलने वाले गेट के करीब है। यहां तैनात सुरक्षाकर्मियों का एक्सेस काफी सहजता से संभव है इस जगह से पर कोई नहीं पहुंचा।
आतंकियों के मंदिर में पैठ कितने सघन अंदाज में थी इसका अंदाजा सिर्फ इस बात से लगाया जा सकता है कि अनिमेषलोचन जिस जगह पर है उससे आगे बढ़ते हुए तालाब के ऊपर बटर लैंप हाउस तक गए आतंकी। यहां श्रद्धालुओं द्वारा दीप जलाया जाता है। मुख्य मंदिर से यहां पहुंचने के लिए सीढि़यां चढ़नी पड़ती है। तीन धमाके के बाद चौथा धमाका मंदिर परिसर में यहीं हुआ।
बटर लैंप हाउस के समीप लगी एक बड़ी एंबुलेंस के भीतर टाइमर वाली डिवाइस फिट की गयी थी। यह विस्फोट इतना जबर्दस्त था कि बटर लैंप हाउस के शीशे पूरी तरह से चकनाचूर हो गए। सुरक्षा व्यवस्था इतनी चौपट थी कि इस पूरे परिसर के भीतरी हिस्से की देखरेख के लिए वहां उस वक्त बामुश्किल दस निजी सुरक्षा गार्ड बगैर किसी शस्त्र के मौजूद थे।
मंदिर परिसर में प्रवेश करने वाले लोगों पर नजर रखने के लिए सुरक्षा की दृष्टि दस सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं। इस सीसीटीवी के बेमानी होने का अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि इसके फूटेज दो दिनों से अधिक समय तक नहीं रखे जा सकते हैं। इसमें कुछ कैमरे इन दिनों बंद रहने की खबर भी है।
बोधगया को इस तरह से बम के धमाकों से आतंकियों ने नियोजित तरीके से दहलाने की योजना बना रखी थी कि हर सड़क पर इसका असर दिखे। मंदिर परिसर के आगे बढ़ने पर थाईलैंड के निर्माणाधीन मोनेस्ट्री के समीप उन्होंने यूपी से आये एक टूरिस्ट बस में बम फिट कर दिया था। यहां भी विस्फोट हुआ। इस मोनेस्ट्री से थोड़ा आगे बढ़ने पर करमापा के तेरेगा मोनेस्ट्री परिसर में बच्चों के कैंटीन के पिछवाड़े बम लगा रखा था। वैसे एक बम यहां डिफ्यूज भी हुआ।
महाबोधि मंदिर के भीतर बड़ी संख्या में लोग सुबह की सैर को भी पहुंचते हैं। कौन किस तरह से आ रहा इसके जांच की कोई व्यवस्था कहीं नजर नहीं आती। मंदिर परिसर के बाहर बड़ी संख्या में दुकानें भी हैं। यहां भी कोई सुरक्षा की व्यवस्था आम तौर पर नहीं दिखती है।