• सुप्रीम कोर्ट ने आदेश मे अपने आदेश मे कई नजीरों का उल्लेख करते हुए आरक्षण को विधिवत लागू करने का दिया आदेश मध्यप्रदेश राज्य को !
• आरक्षको की भर्ती मे आरक्षित वर्ग की मेरिटोरियस महिला अभ्यर्थियो को अनारक्षित वर्ग मे नही नही दिया गया स्थान ! सुप्रीम कोर्ट ने याद दिलाया सौरभ यादय विरूद्ध उत्तर प्रदेश राज्य मे पारित निर्णय को !
• 2017-18 मे की गई लगभग 14 हजार आरक्षको की भर्ती मे की गई व्यापक पैमाने पर गडबडी, पर सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला, आरक्षित वर्ग के प्रतिभाशाली अभ्यर्थियो को उनकी पसंद के अनुरूप शाखा मे की जाए पोस्टिंग !
• पुलिस विभाग ने आरक्षित वर्ग के प्रतिभाशाली अभ्यर्थियो को उनकी वारीयता के अनुसार पोस्टिंग न करते हुए लागू किया है कम्यूनल रिज़र्वेशन : हाईकोर्ट मे दायर याचिका मे अभ्यथियों को नही मिली थी राहत, सुप्रीम कोर्ट ने राहत देते हुए आरक्षित वर्ग के मेरिटोरियस अभ्यर्थियो को उनकी उच्च वरीयता मे पोस्टिंग दिए जाने का किया आदेश !
• आरक्षण लागू करने से संवन्धित, सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट दिशा निर्देशों के वावजूद भी की जा रही लापरवाही !
जबलपुर 14/03/2022 : मध्य प्रदेश राज्य के पुलिस विभाग द्वारा वर्ष 2017-18 मे आरक्षको के 14088 पदो पर भर्तीया की गई है ! उक्त भर्तियों मे आरक्षित वर्ग के प्रतिभावान अभ्यर्थियो को अनारक्षित मे स्थान देते हुए प्रदेश की बिभिन्न बटालियानों मे पदस्थपना की गई, जबकि उन्हे उनकी प्रथम वरीयता के आधार पर जिला पुलिस बल या विशेष पुलिस बल मे पदस्थपना मिलनी थी ! अर्थात कम मेरिट वाले आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियो को जिला पुलिस बल तथा विशेष पुलिस बल फोर्स मे पदस्थपना दी गई है ! उक्त संवन्ध मे कई अभ्यर्थियो ने हाईकोर्ट जबलपुर मे याचिकाए दाखिल करके चुनोती देते हुए अभ्यर्थियो द्वारा दी गई उच्च वरीयता क्रम मे पोस्टिंग करने की राहत चाही गई थी ! उक्त याचिका कर्मांक डबल्यूपी/8807/2018, मे माननीय उच्च न्यायालय की खंडपीठ के तत्कालीन मुख्य न्यायमूर्ति श्री हेमंत गुप्ता एवं विजय कुमार शुक्ला द्वारा दिनांक 20.4.2018 को याचिका निरस्त करते विभाग द्वारा की गई नियुक्तियों को नियमतः मान्य किया गया था ! हाईकोर्ट के उक्त फैसले के विरूद्ध याचिका कर्ताओ मे से एक अभ्यर्थी प्रवीण कुमार कुर्मी द्वारा सुप्रीम कोर्ट मे Civil Appeal No॰ 7663 / 2021 दायर की गई जिसमे सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधिपति श्री संजय किशन कौल एवं जस्टिस M॰M॰ सुंद्रेश की खंडपीठ द्वारा 22/02/2022 को निर्णय पारित करते हुए हाईकोर्ट जबलपुर द्वारा पारित निर्णय दिनांक 20.4.2018 को विधि विरूद्ध मानते हुए निरस्त किया गया तथा उक्त अपील Allowed की जाकर पूर्व मे पारित निर्णयो मे इंद्रा शहनी विरूद्ध भारत संघ (1992) Suppl॰ 3 SCC 2017॰ सहित (1996) 3 SCC 253 Pararaph Nos. 14 & 17 (2012) 13 SCC 516 paragraph No.s 24.1 & 24.4, (2018) 2 SCC 656 at Paragraph Nos. 12, 13, 25, 26.1 & 26.2, (2021) 4 SCC 542 at paragraph No. 26 के मय पेराग्राफ का उल्लेख किया जाकर स्पष्ट किया गया कि जो अभ्यर्थी आरक्षित वर्ग के मेरिट मे टाप है उन्हे उनकी वरीयता के उच्च क्रम मे पदस्थपना दी जाए !
आरक्षण के प्रकरणो मे मध्य प्रदेश शासन के विशेष अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर का कहना है कि इसी प्रकार लोकसेवा आयोग द्वारा सहायक प्राध्यापको की भर्ती मे भी हाईकोर्ट जबलपुर के 49 प्रष्ठ के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त कर आरक्षित वर्ग की 91 महिलाओ को हॉरिजॉन्टल आरक्षण की विसंगति को स्पष्ट करते हुए अनारक्षित वर्ग मे चयन करने के निर्देश दिए गए थे ठीक इसी प्रकार आरक्षको की भर्ती मे भी सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व के निर्णयो का हवाला देकर शासन को स्पष्ट निर्देश दिए गए है ! अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने बताया कि आरक्षण से संवन्धित नियमो को लेटर-इन-स्प्रिट लागू नही करने पर संवन्धित अधिकारी, आरक्षण अधिनियम 1994 की धारा 6 के तहत आपराधिक कृत्य है, तथा 6 माह के कारावास से दंडनीय अपराध है !