रवीन्द्र जैन
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भोपाल। भोपाल स्टेशन बजरिया के पास की तंग बस्ती शंकराचार्य नगर में एक परिवार में पैदा हुए युवक जितेन्द्र जैन की चर्चा आज विश्व पटल पर हो रही है। जैन मुनि बनकर इनकी कठिन तपस्या और साधना ने सभी को हैरत में डाल दिया है। पिछले 11 वर्ष में इन्होंने 1415 दिन बिना अन्न जल ग्रहण किये मौन रहकर बेहद कठोर तपस्या की है।
जितेन्द्र जैन का युवावस्था में कदम रखते ही धर्म के प्रति रूझान बढ़ने लगा था। आचार्यश्री विशुद्धसागर जी महाराज के संघ में रहकर इन्होंने जैन मुनि बनने के लिए अभ्यास शुरु किया। जितेन्द्र कई दिनों तक बिना अन्न जल ग्रहण किये ध्यान लगाते रहे। आचार्यश्री विशुद्धसागर जी महाराज ने इन्हें जैन शास्त्रों का अध्ययन कराया। 2011 में इन्हें मुनि दीक्षा दी। दीक्षा के बाद इनका नाम मुनिश्री अनुत्तर सागर रखा गया। मुनि बनने के बाद इन्होंने लंबे समय तक मौन साधना करके ज्ञान प्राप्त किया। फिर इन्होंने जैन शास्त्रों में वर्णित उपवासों (बिना अन्न जल ग्रहण किये) की साधना की। जैन तीर्थ सम्मेद शिखर पर इन्होंने 183 दिन में से 153 दिन बिना अन्न जल ग्रहण किये मौन रहकर साधना की।
मुनिश्री ने द्वारा किये गये उपवास की सूची
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– चौसठ ऋद्धि व्रत के 64 उपवास
– तपशुद्धि के 78 उपवास
– दुःखहरण के 68 उपवास
– सुख कारण के 68 उपवास
– सर्वतोभद्र के 75 उपवास
– शांतकुंभ के 45 उपवास
– नवकार के 35 उपवास
– ब्रजमध्य के 29 उपवास
– नक्षत्रमाला के 27 उपवास
– भावनाविधि के 25 उपवास
– पञ्चविंशति कल्याणमाला के 25 उपवास
– दर्शन विशुद्धि के 24 उपवास
– दीपमालिका के 24 उपवास
– तपोरुजलि के 24 उपवास
– तीर्थंकर व्रत के 24 उपवास
– बारह बिजोरा के 24 उपवास
– सम्यक्त्व चतुर्विंशति के 24
– समवसरण के 24 उपवास
गोल्डन बुक में नाम दर्ज
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दुनिया में सर्वाधिक उपवास करने के मामले में गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड ने मुनिश्री अनुत्तर सागर जी महाराज को प्रमाण पत्र सौंपा है। जिसमें 8 नवम्बर 2011 से 19 दिसम्बर 2022 तक 1415 दिन बिना अन्न जल ग्रहण किये रहने का उल्लेख है।