हजामत बनावते समय जाने-अनजाने हम ऐसी गलतियां कर बैठते हैं जो भले ही फैशन के हिसाब से सही लगे। लेकिन इन गलतियों के कारण बौद्घिक क्षमता एवं उन्नति में बाधा आती है। हजामत से जुड़ी कुछ बातों का ध्यान नहीं रखने पर आर्थिक एवं स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है।
शास्त्रों में बताया गया है कि हजामत बनवाते समय सबसे ज्यादा शिखा पर ध्यान रखने की जरूरत होती है। हजामत बनाने वाला व्यक्ति अपनी धुन में शिखा की अनदेखी कर जाता है और उसे भी सामान्य बाल समझकर काट देता है। इसलिए बाल कटवाने से पहले हजामत बनाने वाले को बता देना चाहिए कि शिखा को नहीं काटे।
शास्त्रों में बताया गया है कि शिखा मस्तिष्क का एंटीना है जो वातावरण में मौजूद सकारात्मक उर्जा को खींचकर मस्तिष्क में पहुंचाता है। इससे नकारात्मक उर्जा से बचाव होता है। बौद्घिक क्षमता एवं स्मरण शक्ति बढ़ती है। यजुर्वेद में बताया गया है कि ‘यश से श्रिये शिखा’ यानी यश और कीर्ति पाने के लिए शिखा रखें।
भगवान श्री कृष्ण ने मनुष्य के शरीर में दस द्वार बताए हैं। प्राण इन्हीं द्वारों से निकलक ब्रह्म में जाकर मिलता है। दस द्वारों में से एक द्वार मस्तिष्क के केन्द्र में स्थित है। शिखा इस द्वार की सुरक्षा का काम करता है और शुभ कर्मों द्वारा संचित पुण्यों को नष्ट होने से बचाता है।
शास्त्रों में कहा गया है कि शिखा को खोलकर नहीं रखना चाहिए। इस पर गांठ लगा देनी चाहिए इससे शरीर में मौजूद सकारात्मक उर्जा दसवें द्वार से निकलकर वायुमंडल में नहीं मिलता है।
हजामत संबंधी कुछ सामान्य नियम
महाभारत के अनुशासन पर्व में बताया गया है कि आयु वृद्घि के लिए पूर्व या उत्तर की ओर मुंह करके हजामत बनवानी चाहिए। लेकिन यह याद रखें कि हजामत के बाद जितनी जल्दी हो स्नान करलें। बिना नहाये रहने से आयु का नाश होता है। बाल कटवाने के लिए बुधवार और शुक्रवार का दिन उत्तम होता है। इससे धन और मान-सम्मान की वृद्घि होती है।