बालाघाट : संयुक्त क्रांति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व विधायक किशोर समरिते ने पुलिस अधीक्षक समीर सौरभ के बालाघाट में एसपी के पद पर कार्यकाल की सीबीआई जांच कराये जाने की मांग की है. इस मामले को लेकर उन्होंने मुख्यमंत्री एवं गृहमंत्री मध्यप्रदेश शासन को पत्र लिखा है। शिकायती पत्र में पूर्व विधायक किशोर समरीते ने गंभीर आरोप लगाये है जिसमें कहा गया है कि एसपी के द्वारा 100 करोड़ से अधिक के भ्रष्टाचार किये गये है। चिटफंड मामले में करोड़ों रूपये जब्ती किये गये लेकिन पंचनामा नहीं बनाया, सीआरपीएफ के फंड में बिना टेंडर के कार्य कराये गये इसके अलावा अवैध रेत उत्खनन, अपने अधिकारों का दुरूपयोग किये जाने का गंभीर आरोप भी पूर्व विधायक किशोर समरिते ने लगाया है और सीबीआई जांच की मांग की है.
समरीते ने कहा की मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले में पदस्थ पुलिस अधीक्षक समीर सौरभ (आईपीएस) जो बालाघाट में 55वीं बटालियन का कमान्डेट बालाघाट जिले के रेत माफिया से साठ-गांठ कर म.प्र. के गृह विभाग में पांच करोड़ रिश्वत देकर पदस्थापना करवायी तथा पदस्थापना के 2 महिने में ही मई 2022 को लांजी तहसील के ग्राम बोलेगाव तहसील किरनापुर से छिंदीकुआ सहित 22 चिटफण्ड कम्पनियों के संचालकों के घर से बिना सर्च वारंट के छापे की कार्यवाही कर 700 करोड़ रुपये जप्त किया गया। मौके पर जप्ती पंचनामा नहीं बनाया गया तथा छापे एवं कार्यवाही में काम करने वाले कर्मचारी नोट गिनने की मशीने नहीं जप्त की गई तथा जप्त किये गये भारी तादाद में नगदी की विडियो कापी नहीं बनायी गयी तथा मात्र 10 करोड रूपये जप्ती दर्शायी तथा शेष राशि एसआईटी प्रमुख आदित्य मिश्रा तथा पुलिस अधीक्षक समीर सौरभ (आईपीएस) द्वारा आपस में बांट ली। यह गंभीर भ्रष्टाचार का मामला है।
इसी तरह पुलिस अधीक्षक द्वारा भारत सरकार एवं म.प्र. शासन गृह विभाग से प्राप्त सीआरपीएफ का फंड एसआरई. का फण्ड लघु निर्माण फण्ड पीसी एण्ड आर. का फंड में पांच करोड़ से अधिक कार्य बिना टेण्डर के कर दिये तथा 10 करोड़ रूपये लोक निर्माण विभाग को देकर कार्य करवाये। जबकि मप्र शासन के पुलिस एवं गृह विभाग के पास पुलिस आवास एवं अधोसंरचना विकास निगम एजेंसी है। इस एजेंसी के रहते हुये लोक निर्माण विभाग एवं निजी ठेकेदारों से बिना टेण्डर के कैसे कार्य करवाये जा सकते हैं। इन सभी कार्यों की मूल्यांकन पुस्तिकायें, कार्यपूर्णता प्रमाण-पत्रों की तथा भुगतान की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिये। जबकि 2 लाख से अधिक राशि के कार्य बिना आन लाईन टेण्डर के नहीं किये जा सकते। जबकि पुलिस अधीक्षक समीर सौरभ (आईपीएस) द्वारा स्टीमेट सभी कार्यों के पुलिस हाउसिंग कारपोरेशन से मंगाये गये तथा कार्य पुलिस हाउसिंग कारपोरेशन से नहीं करवाये गये।
योजनाओं से प्राप्त आवंटन एवं प्रशासकीय स्वीकृति एवं अनुमानित लागत को बार-बार बदलकर नये स्टीमेट पर कार्य करवाये गये हैं जो गंभीर अनियमितता है। इस मामले की जांच में पुलिस अधीक्षक समीर सौरभ (आईपीएस) को सेवा से पृथक किया जा सकता है। साथ ही पुलिस अधीक्षक की दूर डायरी वाहन की लागबुक रोजनामचे में रवानगी एवं आमद तथा लिये गये यात्रा भत्तों में भारी अंतर है जो गंभीर जांच का विषय है। पुलिस अधीक्षक समीर सौरभ (आईपीएस) द्वारा अपने अधिन पुलिस अधिकारी एवं कर्मचारियों को दिये गये कारण बताओ नोटिस दिये व अर्थदण्ड एवं सजा की गंभीर जांच के दायरे में है। पुलिस अधीक्षक समीर सौरभ (आईपीएस) द्वारा बालाघाट के सभी थानों एवं चौकियों में हवालात (लाकप) को टार्चर रूम में बदल दिया गया तथा बालाघाट कोतवाली के गिरफ्तार आरोपियों को बालाघाट पुलिस लाईन में सभा मंच से लाकर कपड़े उतारकर टार्चर किया जाता है जो गंभीर जांच का विषय है।
बालाघाट नाहर में कोतवाली बालाघाट प्रभारी कमाल सिंह गहलोत तथा आरक्षक गजेन्द्र माटे 459 तथा शैलेष गौतम 28 की रवानगी आमद का कभी निरीक्षण नहीं किया गया। बालाघाट में बढ़ते अपराधों तथा चोरियों की घटनाओं पर पुलिस अधीक्षक समीर सौरभ द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की। पुलिस अधीक्षक समीर सौरभ भ्रष्टाचार में लिप्त होने से 20.8.2022 को खराड़ी के जंगल में फर्जी इनकाउंटर करने वाले आदित्य मिश्रा द्वारा फर्जी इनकाउंटर की जांच नहीं होने दी। पत्रकारों एवं जन प्रतिनिधियों को घटना स्थल पर नहीं जाने दिया तथा पुलिस अधीक्षक समीर सौरभ ने राष्ट्रपति पदक एवं वीरता पदक देने की अनुशंसा करवा ली जबकि मारे गये सभी आदिवासी जीवित पकड़े गये थे तथा लोकांगी पुलिस चौकी से कादला के जंगल में आंखों में पट्टी बांधकर पीछे से गोलियां मारी गयी थी। इसमें शामिल सभी पुलिस अधिकारियों के रोजनामचा रवानगी आमद में समय की जांच की जानी चाहिये।
मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले में 1800 स्थानों पर अवैध शराब बेची जा रही है तथा नशे का कारोबार पुलिस अधीक्षक 2 करोड़ प्रतिमाह लेकर संचालित करवा रहे हैं। बालाघाट जिले में अपराध चरम सीमा पर है तथा भ्रष्टाचार पर पुलिस अधीक्षक का नियंत्रण नहीं है। पुलिस अधीक्षक समीर सौरभ (आईपीएस) अपने बंगले पर 20 से अधिक गुप्त सैनिक तथा 20 से अधिक पुलिस के जवान तैनात कर अपने पद एवं अधिकारों का दुरूपयोग कर रहे हैं तथा गुप्त सैनिकों को दी जाने वाली राशि में भी भारी भ्रष्टाचार व्याप्त है। साथ ही बोनकट्टा रेत घाट में बार-बार सूचना दी जा रही है कि अवैध रेत उत्खनन एवं रेत चोरी हो रही है जिसमें भी पुलिस अधीक्षक ने अपने कर्तव्य का निर्वाह नहीं किया। समरीते ने तथ्यों के आधार पर पुलिस अधीक्षक समीर सौरभ के विरुद्ध सीबीआई से जांच करवाकर बर्खास्त करने की मांग की है।