ग्वालियर-विशेष न्यायालय डकैती अधिनियम संजय गोयल की अदालत ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं हिमांशु और सुकृत को फिलहाल जमानत देने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि ”एबीवीपी के कार्यकर्ताओं के कृत्य को कतई न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता. जब रेलवे स्टेशन पर गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति को अस्पताल ले जाने के लिए एंबुलेंस आ चुकी थी, तब अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं को हाई कोर्ट जज के ड्राइवर से कार की चाबी छीन कर उसमें मरीज को ले जाना कतई उचित नहीं कहा जा सकता.”
एंबुलेंस आने में हुई देर, जज की ले गए कार:इसलिए एबीवीपी के कार्यकर्ताओं हिमांशु और सुकृत को जमानत का लाभ देने से इनकार करते हुए विशेष न्यायालय ने उनके जमानती आवेदन को खारिज कर दिया है. गौरतलब है कि तीन दिन पहले ग्वालियर रेलवे स्टेशन पर दिल्ली की और से आ रहे प्रोफेसर रणजीत सिंह यादव की अचानक तबीयत खराब हो गई थी. मौके पर मौजूद एबीवीपी के कार्यकर्ताओं ने जब काफी देर तक पुलिस और एंबुलेंस का इंतजार किया और एंबुलेंस आने में देरी हुई तो उन्होंने रेलवे स्टेशन के पोर्च में खड़ी हाई कोर्ट जज की कार के चालक से चाबी छीन ली और उसमें गंभीर रूप से बीमार मरीज को अस्पताल ले गए.
युवकों के खिलाफ डकैती का केस: हाईकोर्ट जज के ड्राइवर ने तुरंत ही इसकी सूचना पुलिस को दी. पुलिस ने इस कार को अस्पताल परिसर से बरामद कर लिया. यह बात और है कि इसके बावजूद प्रोफेसर रणजीत सिंह यादव को बचाया नहीं जा सका. उनकी इलाज के दौरान मौत हो गई. इस बीच पड़ाव पुलिस ने हिमांशु और सुकृत के खिलाफ डकैती का मुकदमा दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया था. फिलहाल दोनों आरोपी अस्पताल में अपना इलाज करा रहे हैं.
कार चालक से चाबी छीनना उचित नहीं: इसे लेकर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता लगातार दो दिन से आंदोलन कर रहे हैं और अपने कृत्य को उचित ठहरा रहे हैं. न्यायालय ने माना है कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने मरीज की जान बचाने के लिए यह कृत्य किया था. लेकिन कार के चालक से बलपूर्वक चाबी छीनकर जाकर को ले जाना कहीं से भी उचित नहीं है. इसलिए दोनों छात्र नेताओं के जमानत आवेदन को न्यायालय ने खारिज कर दिया है.