आपकी बातों के कारण अगर लोग आपसे दूरी बना लेते हैं तो हो सकता है कि आपका जन्म अनुराधा नक्षत्र में हुआ है। 27 नक्षत्रों में इस नक्षत्र का स्थान 17वां है।
इस नक्षत्र में जिनका जन्म होता है उनमें लोगों को मित्र बनाने की प्रवृति होती है और जरूरत पड़ने पर मित्र की भरपूर मदद भी करते हैं। इसका कारण यह है कि इस नक्षत्र के देवता मित्र देव हैं जो बारह आदित्यों में से एक माने जाते हैं।
लेकिन इस नक्षत्र का स्वामी ग्रह शनि होने के कारण यह स्पष्टवादी होते हैं। जो भी दिल में होता है खुलकर बोल देते हैं जिससे लोग नाराज हो जाते हैं। इनमें संयम की कमी होती है, छोटी-छोटी बातों पर उत्तेजित हो जाते हैं। यही कारण है कि इनकी बहुत कम लोगों से लंबे समय तक मित्रता निभती है। इनमें दूसरों पर अपना प्रभाव बनाने की भी प्रवृति होती है।
अनुराधा नक्षत्र के चारों चरण वृश्चिक राशि में होते हैं। इस राशि का स्वामी मंगल है। मंगल और शनि में वैर भाव होने के कारण इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति भूमि, भवन एवं दूसरे निवेशों से धन अर्जित करते हैं लेकिन इन्हें संघर्ष करते हुए जीवन में आगे बढ़ना होता है।
अनुराधा नक्षत्र में जन्म लेने वाला व्यक्ति काफी मेहनती और लक्ष्य के प्रति गंभीर होता है। यही कारण है कि कठिनाईयों पर विजय प्राप्त करते हैं और लक्ष्य की ओर आगे बढ़ते रहते हैं।
ज्योतिषशास्त्र में अनुराधा नक्षत्र के चारों चरणों के फल का वर्णन करते हुए बताया गया है कि जन्म के समय अनुराधा नक्षत्र का पहला चरण हो तो व्यक्ति की जुबान तीखी होती है। ऐसे व्यक्ति सांसारिक बातों के काफी तेज होते हैं।
दूसरे चरण में जन्म होने पर धार्मिक विचारों वाला जबकि तीसरे चरण में जन्म लेने वाला व्यक्ति दीर्घायु होता है। जिस व्यक्ति का जन्म अनुराधा नक्षत्र के चौथे चरण में होता है उनमें काम की भावना अधिक होती है। ऐसे लोगों के अनैतिक संबंध हो सकते हैं।