mp election 2023: मप्र में चुनाव अपने उठाव पर आने लगा है,सत्ताधारी दल भाजपा जहाँ अपने आतंरिक ढाँचे में लगी दीमक से परेशान है वहीँ कांग्रेस ने थक कर सत्ता में पुरजोर वापिसी के लिए अपने आपसी झगडे भुला एक छतरी के नीचे आ गए और चुनाव की तैयारियों में व्यस्त हैं.भाजपा में सत्ता एवं संगठन दो अलग धड़े हो गए हैं इनमें कोई ताल-मेल नहीं है वहीँ कांग्रेस मजबूरीवश बाहर से एक जुट नजर आती है लेकिन अंदर से उसका आचार-व्यवहार वही है जो शक्ति मिलने पर पुनः उभर आएगा।
चर्चा कर रहे हैं भाजपा में घटे ताजा घटनाक्रम नए अध्यक्ष के बदलाव की खबर का दरअसल यह तो सभी को पहले से पता है की वर्तमान अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा को न तो केंद्र आगे बना रहने देना चाहता है और न ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान केंद्र की पसंद जहाँ सांसद एवं मंत्री प्रह्लाद पटेल हैं वहीँ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान किसी सवर्ण अध्यक्ष को अपने साथ देखना चाहते हैं उन्हें पता है उन्हें हटाने के प्रयास भी भी चल रहे लेकिन कोई नेता इस कठिन समय में काँटों का ताज पहनना नहीं चाहता,मुख्यमंत्री की राजनीतिक इच्छा के चलते राजेंद्र शुक्ला और गोपाल भार्गव जैसे नाम उन्होंने रखे थे लेकिन प्रह्लाद पटेल का नाम कटवाने के फेर में भाजपा उलझ कर रह गयी है अब ये नाम मप्र भाजपा के लिए गली की हड्डी बन चुका है जिसे मप्र भाजपा से न निगलते बन रहा न उगलते बन रहा है।
दरअसल तेज-तर्रार और संगठन के निर्माण में अनुभवी प्रह्लाद पटेल से सभी कद्दावर नेता खौफ खाते हैं खासकर बुंदेलखंड के स्थापित नेता इसलिए पिछले दिनों चले राजनीतिक घटनाक्रम में प्रह्लाद पटेल अध्यक्ष बनते-बनते रह गए लेकिन अगले दिन प्रह्लाद पटेल के अध्यक्ष बनने के बधाई मेसेज सोशल मीडिया पर चलवा दिए गए यह मान लिया गया वे अब अध्यक्ष नहीं बनेंगे लेकिन इसके पीछे के बड़े राजनीतिक नुकसान का आंकलन नहीं कर पाए,केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल लोधी समाज से आते हैं कभी पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के ख़ास रहे प्रह्लाद पटेल जुझारू नेता माने जाते हैं और कई चुनावों के निर्णय अपने पक्ष में पलटने में उनका कोई तोड़ नहीं है,मप्र में लोधी वोट लगभग 9 प्रतिशत है,ये वोटर राज्य की 232 विधानसभा सीटों में से करीब पांच दर्जन सीटों पर सियासी प्रभाव रखते हैं. ऐसे ही एक दर्जन.ऐसे ही एक दर्जन लोकसभा सीट पर भी वह प्रभावी हैं. मध्य प्रदेश के होशंगाबाद, जबलपुर, खजुराहो, सागर, नरसिंह पुर, मंडला, छिंदवाडा और दमोह आदि जिलों में लोधी बड़ी संख्या में हैं.
जहाँ उमा भारती के करीबी माने जाने वाले प्रीतम लोधी के ब्राह्मणों पर दिए बयान से बीजेपी मध्य प्रदेश में असहज हो गई थी,वहीँ प्रह्लाद पटेल के अध्यक्ष बनने की ख़बरों के बाद उनके अध्यक्ष न बनने से लोधी समुदाय में गलत सन्देश जाएगा और इसका सीधा नुकसान भाजपा को चुनावी वोटों के रूप में होगा।
वहीँ यदि ब्राह्मणों को नाराज किया जाता है तब लगभग इतनी ही 60 सीटों पर सीधा नुकसान ब्राह्मण वोटर भाजपा को दे सकते हैं,। यह कुल वोट बैंक का 10 प्रतिशत के करीब है। जो विंध्य, महाकौशल, चंबल और मध्य क्षेत्र की 60 से अधिक सीटों पर सीधा प्रभाव डालते हैं।इसमें सबसे अधिक नुकसान भाजपा को विंध्य क्षेत्र में हो सकता है जहाँ कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने अपनी पैठ बढ़ा ली है.
वर्तमान भाजपा अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा का कार्यकाल पूरा हो चुका है उनके पक्ष में यह है की संघ के दत्तात्रेय होसबोले का वरद-हस्त उन्हें प्राप्त है और उनकी वजह से ही उनका अध्यक्ष बनना संभव हुआ है वहीँ शर्मा के ऊपर उनके कार्यकाल में कई दाग लग चुके हैं जिनमे आर्थिक एवं चारित्रिक कारण मुख्य हैं।शर्मा का अध्यक्ष होते हुए फॉलो वाहन ले कर चलना लोगों में चर्चा का विषय बना रहा है,इसलिए भाजपा उन पर दांव लगाने का ख़तरा लेने से बचेगी।
प्रह्लाद शर्मा की घेराबंदी का सत्य उन्होंने शालीन ट्वीट कर जाहिर कर दिया था लेकिन आग अभी बुझी नहीं है और बड़ा स्वरूप ले उसका भभकना तय है।
अनिल कुमार सिंह “धर्मपथ” के लिए