सूचना मिलते ही संबंधितों के विरुद्ध होगी कड़ी कार्रवाई
अक्षय तृतीया अथवा आखा तीज-13 मई को बाल विवाहों को रोकने के लिए सभी जिलों को सतर्क कर दिया गया है। राज्य शासन ने जिला कलेक्टरों को बाल विवाह की रोकथाम के लिए कड़े कदम उठाने के निर्देश दिये हैं। इस दिन होने वाले सामूहिक विवाह समारोह पर शासन की पैनी नजर रहेगी। अक्सर आखा-तीज पर सामूहिक विवाह की आड़ में कुछ बाल विवाह भी हो जाते हैं। इस बात को ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन और उसके अमले को मुस्तैद कर दिया गया है।
राज्य सरकार ने इस वर्ष बाल विवाह रोकथाम के लिये लाड़ो अभियान चलाया है। अभियान के जरिये लोगों को जागृत किया गया है। जिला कलेक्टरों से कहा गया है कि वे अपने जिले में ऐसे प्रयास करें कि किसी भी परिस्थिति में कोई भी बाल विवाह न हो। बाल विवाहों की रोकथाम के लिये समाज के ऐसे प्रभावशाली व्यक्तियों/समूहों का सहयोग लिया जा रहा है, जो वैवाहिक कार्यक्रमों में खास भूमिका निभाते हैं। सही उम्र में विवाह का महत्व और कम उम्र में विवाह के दुष्परिणामों को आम नागरिकों तक पहुँचाने के लिए बेहतर प्रचार-प्रसार भी किया गया है।
महिला-बाल विकास विभाग ने बाल विवाह की रोकथाम के लिये लाड़ो अभियान के रूप में कार्य-योजना बनाई है। विभाग ने समस्त जिला कार्यक्रम, जिला महिला-बाल विकास और परियोजना अधिकारियों को कार्य-योजना का मुस्तैदी से पालन करवाने को कहा हैे। बाल विवाह रोकने के लिये जन-प्रतिनिधियों, समाज-सेवियों, एनजीओ आदि की मदद ली गई है। अभिभावकों को समझाइश देने की व्यापक पहल की गई है।
सख्त कानून
बाल विवाह करना, बाल विवाह रोकथाम अधिनियम-1929 के अंतर्गत गैर कानूनी है। अधिनियम में बाल विवाह करने वाले इक्कीस वर्ष से कम आयु के वयस्क पुरूष के लिए दण्ड का प्रावधान है। इसके अनुसार जो कोई अठारह वर्ष से अधिक या इक्कीस वर्ष से कम आयु का पुरूष होते हुए बाल विवाह करेगा, वह सादा कारावास से, जिसकी अवधि 15 दिन तक की हो सकेगी अथवा जुर्माने से जो एक लाख तक का हो सकेगा या दोनों से, दण्डनीय होगा। बाल विवाह करने वाले इक्कीस वर्ष से अधिक आयु के पुरूष वयस्क के लिए दण्ड का प्रावधान है। जिसके अनुसार जो कोई इक्कीस वर्ष से अधिक आयु का पुरूष होते हुए बाल विवाह करेगा वह सादा कारावास से, जिसकी अवधि तीन मास तक की होगी, दण्डनीय होगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा। अधिनियम की धारा-5 में बाल विवाह के अनुष्ठान पर भी दण्ड का प्रावधान है। इसके अनुसार जो भी बाल विवाह को सम्पन्न करेगा, संचालित करेगा या निर्दिष्ट करेगा वह जब तक यह साबित न कर देगा कि उसके पास विश्वास करने का कारण था कि वह विवाह, बाल विवाह नहीं था, तीन मास की अवधि के सादा कारावास की सजा तथा जुर्माने से दण्डनीय होगा।
कानून में माता-पिता या संरक्षक के लिए भी दण्ड का प्रावधान रखा गया है। माता-पिता या संरक्षक या अन्य किसी विधि पूर्ण या विधि विरूद्ध हैसियत से वयस्क की देख-रेख करने वाला कोई भी व्यक्ति जो विवाह को दुष्प्रेरित करने के लिए कोई अन्य कार्य करेगा अथवा उसका किया जाना अनुज्ञात करेगा अथवा अनुष्ठान का निवारण करने में उपेक्षापूर्ण असफल रहेगा, वह सादा कारावास से और जुर्माने से दण्डनीय होगा। कारावास अवधि तीन मास तक की हो सकेगी परंतु कोई स्त्री कारावास से दण्डनीय नहीं होगी।