
एम्स डायरेक्टर डॉ. संदीप कुमार ने बताया कि अस्पताल से निकलने वाली कॉटन, बेंडेज, प्लास्टर बेंडेज जैसे ऑर्गेनिक कचरे को एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट में स्टोर किया जाएगा। बाद में कचरे को बायोगैस प्लांट के टैंक में गोबर और मिट्टी के साथ मिला दिया जाएगा।
इससे बनी बायोगैस एम्स हॉस्पिटल के किचन में सप्लाई होगी। प्लांट के लिए गोबर की कमी न पड़े, इसके लिए अस्पताल प्रबंधन संस्थान के एक हिस्से में गौशाला भी खोलेगा। एम्स के अधिकारियों के मुताबिक संस्थान के 300 बिस्तरों वाले अस्पताल से रोजाना दो क्विंटल जैविक कचरा निकलेगा।