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 “अग्निपथ योजना” सरकार के गले की बनी हड्डी,भारतीय सेना के प्रति जज्बे के ताने-बाने को तोड़ती योजना | dharmpath.com

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“अग्निपथ योजना” सरकार के गले की बनी हड्डी,भारतीय सेना के प्रति जज्बे के ताने-बाने को तोड़ती योजना

June 22, 2022 8:48 am by: Category: सम्पादकीय Comments Off on “अग्निपथ योजना” सरकार के गले की बनी हड्डी,भारतीय सेना के प्रति जज्बे के ताने-बाने को तोड़ती योजना A+ / A-

एक तरफ गृहमंत्री अमित शाह केंद्रीय बलों में और तीन राज्यों के मुख्यमंत्री अपने प्रदेश में अग्निवीरों को नौकरी में प्राथमिकता देने का वादा कर रहे हैं, लेकिन दूसरी तरफ आंकड़े दिखाते हैं कि सुरक्षाबलों और पुलिसकर्मियों के कई हजार पद पहले से ही खाली हैं जिन्हें नहीं भरा गया. सवाल उठता है कि जब पहले से ही कई हजार पद खाली हैं तो उन्हें भरा क्यों नहीं गया? तो अग्निवीरों को किस तरह प्राथमिकता दी जाएगी?

 

देश भर में सभी राज्यों के पुलिस बल और केंद्रीय बलों की संख्या को लेकर पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो (बीपीआरडी) हर साल आंकड़े जारी करता है. एक जनवरी 2021 तक के आंकड़ों के मुताबिक, सबसे ज्यादा जनसंख्या वाले उत्तर प्रदेश में पुलिस के कुल चार लाख 14 हजार 779 पद स्वीकृत हैं, लेकिन कार्यरत केवल तीन लाख, 160 पुलिसकर्मी हैं. यानी उत्तर प्रदेश पुलिस में कुल 1,16,619 पद खाली हैं. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को सत्ता में साढ़े पांच साल से ज्यादा समय हो जाने और बार-बार युवाओं को रोजगार देने की बात करने के बावजूद, आज भी ये पद रिक्त ही हैं.

पुलिसकर्मियों की इस संख्या में सिविल पुलिस, जिला रिजर्व पुलिस, इंडियन रिजर्व बटालियन और स्टेट स्पेशल आर्म्ड पुलिस शामिल हैं. उत्तर प्रदेश पुलिस कैडर के एक रिटायर्ड वरिष्ठ अधिकारी नाम न छापने पर बताते हैं, “प्रदेश में पुलिसकर्मियों के प्रशिक्षण में कटौती की जा रही है. उनके ट्रेनिंग समय को कम किया जा रहा है. इसके कारण पुलिसकर्मियों को नहीं पता कि काम कैसे करना है.”

प्रशिक्षण की कमी के कारण उत्तर प्रदेश में हाल में हुई हिंसा की घटनाओं के दौरान पुलिसकर्मी हेलमेट की जगह कुर्सी लेकर प्रदर्शनकारियों से भिड़ रहे थे. पुलिसकर्मी लकड़ी की टोकरी को ढाल की तरह थामे भी नजर आए.

केंद्र और राज्य सरकार द्वारा पुलिस की ट्रेनिंग पर खर्च के आंकड़ों में भी उत्तर प्रदेश पिछड़ा हुआ है. प्रदेश ने 2020-21 में पुलिस बजट (20,205.5 करोड़) में से पुलिसकर्मियों की ट्रेनिंग पर मात्र 0.78 (157.65 करोड़) प्रतिशत खर्च किया.

इसी तरह मध्यप्रदेश में पुलिस के कुल 1,16,184 पद स्वीकृत हैं लेकिन केवल 89,293 पुलिसकर्मी ही कार्यरत हैं, 26891 पद खाली हैं. प्रदेश में हाल ही में पुलिसकर्मियों के खिलाफ हिंसा की घटनाएं बढ़ी हैं. हाल ही में गुना जिले में शिकारियों ने तीन पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी. यही नहीं पुलिसकर्मियों की कमी के वजह से प्रदेश में पुलिसकर्मी 12 घंटे की शिफ्ट कर रहे हैं. शिफ्ट के समय के साथ-साथ सैलरी बढ़ाने के लिए भी पुलिसकर्मियों के परिजनों ने विरोध प्रदर्शन किया.

हरियाणा की बात करें तो प्रदेश में कुल स्वीकृत पुलिसकर्मी 72,606 हैं लेकिन कार्यरत 52,883 ही हैं. यानी कि प्रदेश में पुलिस के 19,723 पद खाली हैं. प्रदेश में एक लाख जनसंख्या पर 248 पुलिसकर्मियों की जरूरत है, लेकिन पद खाली होने के कारण इस समय सिर्फ 180 पुलिसकर्मी ही मौजूद हैं.

सभी राज्यों के आंकड़े को मिलाकर देखें तो देश में 26.31 लाख पुलिस पद स्वीकृत हैं जिनमें से 17.55 लाख सिविल पुलिस, 3.07 लाख जिला रिजर्व पुलिस, 5.69 लाख इंडियन रिजर्व बटालियन (आईआरबीएन) और स्टेट स्पेशल आर्म्ड पुलिस फोर्स के पद हैं.

कुल स्वीकृत पदों में से देशभर में 20.69 लाख पुलिसकर्मी कार्यरत हैं और 5.62 लाख पुलिसकर्मियों के पद खाली हैं. कार्यरत सिविल पुलिस की संख्या 13.73 लाख है, 3.82 लाख पद खाली हैं. जिला रिजर्व पुलिस बलों में भरे पदों की संख्या 2.33 लाख है और 0.74 लाख पद खाली हैं. वहीं इंडियन रिजर्व बटालियन(आईआरबीएन) और स्टेट स्पेशल आर्म्ड पुलिस में 4.63 लाख पुलिसकर्मी कार्यरत हैं जबकि 1.06 लाख पद खाली हैं.

राज्यों में पुलिस के कई हजार पद खाली होने के साथ ही केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल और असम राइफल्स में भी कई हजार पद खाली हैं. अमित शाह सबसे पहले नेताओं में से हैं जिन्होंने ट्वीट कर कहा था कि गृह मंत्रालय केंद्रीय बलों में भर्ती में अग्निवीरों को प्राथमिकता दी जाएगी, जबकि केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के पहले से रिक्त पद भरे नहीं गए हैं.

केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में सीआरपीएफ, बीएसएफ, सीआईएसएफ, आइटीबीपी, एसएसबी, एनडीआरफ, एनएसजी और असम राइफल्स, आरपीएफ आते है. इन बलों में सबसे ज्यादा खाली पद सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) में हैं. सुरक्षाबलों के गज़ेटेड और नॉन गजेटेड पद मिलाकर कुल 2,65,173 पद स्वीकृत हैं, जिनमें 2,36,158 पुलिसकर्मी कार्यरत हैं. सिर्फ बीएसएफ में 34,194 पद खाली हैं,. बता दें कि एनएसजी और एनडीआरएफ में सुरक्षाबलों की नियुक्ति डेप्युटेशन (कुछ समय से के लिए दूसरे फोर्स से लिए जाने वाले जवान)पर होती है.

बीएसएफ के बाद सबसे ज्यादा रिक्त पदों वाले बलों पर सीआरपीएफ आता है, जिसमें कुल स्वीकृत पद 3,24,723 हैं. इनमें से 2,96,393 पद भरे हैं और 28,330 पद खाली हैं.

अन्य बलों की बात करें तो असम राइफल्स में 8290, सीआईएसएफ में 24,121, आईटीबीपी में 5509, एनडीआरएफ में 6287, एनएसजी में 1475, आरपीएफ में 7620 और एसएसबी में 18645 पद खाली हैं.

इसी तरह अगर सभी बलों के गज़ेटेड और नॉन गजे़टेड सुरक्षाबलों की संख्या को जोड़ दिया जाए तो कुल स्वीकृत पदों की संख्या 11,09,969 है, जिनमें से 980677 पद भरे हैं और 1,29,292 पद खाली हैं.

केंद्र सरकार ने अग्निपथ योजना के विरोध के बाद भर्तियों में 10 प्रति आरक्षण देने की बात कही है. साथ ही कहा है कि वह अग्निपथ योजना के तहत आए सैनिकों को भर्तियों में प्राथमिकता देंगे लेकिन सरकार के आंकड़े बताते हैं कि सरकारी नौकरियों में पूर्व सैनिकों की भर्ती में गिरावट आई है.

रक्षा विभाग में पूर्व सैनिक कल्याण विभाग के तहत पुनर्वास महानिदेशालय या डीजीआर के आंकड़े बताते हैं कि 30 जून 2021 तक पूर्व सैनिकों की भर्ती में कमी आई है.

बैंक, केंद्रीय सुरक्षाबल, पीएसयू और केंद्र सरकार के विभागों में पूर्व सैनिकों की भर्ती होती है. केंद्रीय सुरक्षाबलों के ग्रुप ए से लेकर ग्रुप डी तक में पूर्व सैनिकों की भर्ती होती है. इसके लिए गुप ए से सी तक 10 प्रतिशत आरक्षण है, वहीं ग्रुप डी के लिए 20 प्रतिशत आरक्षण है.

आंकड़े बताते हैं कि ग्रुप ए में 2.20 प्रतिशत (कुल 76681 में से 1687), ग्रुप बी में 0.87 प्रतिशत (कुल 61650 में से 539), ग्रुप सी में 0.47 प्रतिशत (881397 में से 4146), ही पूर्व सैनिकों की भर्तियां हुई हैं.

केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों में पूर्व सैनिकों के लिए ग्रुप सी पदों में 14.5 फीसदी और ग्रुप डी पदों में 24.5 फीसदी कोटा तय किया गया है. लेकिन, डीजीआर के अनुसार ग्रुप सी में केवल 1.15 प्रतिशत (कुल 2,72,848 में से 3,138) और ग्रुप डी में 0.3 प्रतिशत (कुल 134733 में से 404) पदों पर पूर्व सैनिकों की भर्ती हुई.

एनबीटी की एक खबर के मुताबिक सीआईएसएफ ने मार्च 2022 में गृह मंत्रालय से 1700 पूर्व सैनिकों के कॉन्ट्रैक्ट समाप्त करने का अनुरोध किया है.

केंद्र सरकार के विभागों में पूर्व सैनिकों के लिए ग्रुप सी में 10 प्रतिशत और ग्रुप डी में 20 प्रतिशत आरक्षण है. डीजीआर के आंकड़े बताते हैं कि ग्रुप सी में 1.29 प्रतिशत (कुल 1094705 में से 13976) और ग्रुप डी 2.66 प्रतिशत (कुल 325265 में 8642) पदों पर पूर्व सैनिकों की भर्ती की गई.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक 2 जून को पूर्व सैनिक वेलफेयर सचिव द्वारा बुलाई गई बैठक में 77 केंद्रीय विभागों में से 48 विभागों के अधिकारी शामिल नहीं हुए. इस बैठक का उद्देश्य केंद्र में पूर्व सैनिकों की संख्या को बढ़ाने को लेकर था.

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