अदालत ने कहा कि भले ही मुस्लिम समुदाय के लिए मस्जिदें महत्वपूर्ण हैं, लेकिन पवित्र कुरान के अनुसार यह जरूरी नहीं है कि हर नुक्कड़ पर एक मस्जिद हो. “पवित्र कुरान की आयतें मुस्लिम समुदाय के लिए मस्जिद के महत्व को स्पष्ट रूप से उजागर करती हैं. लेकिन पवित्र कुरान के उपरोक्त छंदों में यह नहीं कहा गया है कि हर नुक्कड़ और कोने में एक मस्जिद आवश्यक है.. ‘हदीस’ या पवित्र कुरान में यह नहीं कहा गया है कि मस्जिद हर मुस्लिम समुदाय के सदस्य के घर के बगल में स्थित होनी चाहिए. दूरी कोई मापदंड नहीं है, लेकिन मस्जिद तक पहुंचना महत्वपूर्ण है.”
अदालत ने 2011 की जनगणना के आधार पर धार्मिक संरचनाओं पर एक अध्ययन का भी उल्लेख किया, जिसे उसने ‘खतरनाक’ करार दिया था, क्योंकि उसमें कहा गया था कि केरल में गांवों के रूप में धार्मिक संरचनाओं की संख्या 10 गुना और अस्पतालों की संख्या से 3.5 गुना अधिक है. अदालत ने नोट किया, “केरल धार्मिक संस्थानों और प्रार्थना कक्षों से थक गया है.. यदि प्रत्येक भक्त .. हिंदू, ईसाई, मुस्लिम, यहूदी, पारसी, आदि अपने निवास के पास धार्मिक स्थलों और प्रार्थना कक्षों का निर्माण शुरू करते हैं, तो राज्य को सांप्रदायिक असामंजस्य सहित गंभीर परिणाम का सामना करना पड़ेगा. इस मामले में, खुफिया रिपोर्ट और पुलिस रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर वाणिज्यिक भवन को धार्मिक प्रार्थना कक्ष में बदलने की अनुमति दी जाती है, तो सांप्रदायिक वैमनस्य की संभावना है। यह एक संवेदनशील मुद्दा है.”
तत्काल मामले में, चूंकि 36 मस्जिदें आसपास के क्षेत्र में मौजूद थीं, इसलिए अदालत ने कहा कि उस आसपास के क्षेत्र में दूसरी मस्जिद की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि इस्लाम के अनुयायी पास की अन्य मस्जिदों में जा सकते हैं. अदालत ने खासकर इस तथ्य पर विचार करते हुए यह बात कही कि अधिकांश नागरिकों के पास किसी प्रकार के वाहन या सार्वजनिक परिवहन तक पहुंच है.
अदालत ने कहा, “यह सच है कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 26 (ए) में कहा गया है कि सार्वजनिक व्यवस्था, नैतिकता और स्वास्थ्य के अधीन, प्रत्येक धार्मिक संप्रदाय या उसके किसी भी वर्ग को धार्मिक और धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए संस्थान स्थापित करने और बनाए रखने का अधिकार होगा. मगर इसका मतलब यह नहीं है कि वे देश के कोने-कोने में धार्मिक स्थलों का निर्माण कर सकते हैं. केरल एक बहुत छोटा राज्य है.”
न्यायमूर्ति कुन्हीकृष्णन ने प्रशंसित कवि, दिवंगत वायलर रामवर्मा के एक फिल्म गीत का भी उल्लेख किया, जो बताता है कि कैसे मनुष्य ने धर्मों का निर्माण किया, धर्म ने ईश्वर का निर्माण किया और उन्होंने मिलकर दुनिया और मानवता को विभाजित किया. यह फैसला एक व्यावसायिक इमारत को मुस्लिम प्रार्थना स्थल में बदलने की मांग वाली एक याचिका पर दिया गया है, ताकि आसपास के मुसलमानों को मस्जिद में नमाज अदा करने के लिए सक्षम बनाया जा सके.
जिला पुलिस प्रमुख की रिपोटरें के आधार पर जिला कलेक्टर ने अनुरोध पर विचार किया और इसे अस्वीकार कर दिया, जिन्होंने उल्लेख किया कि याचिकाकर्ता के मौजूदा व्यावसायिक भवन से 5 किलोमीटर के दायरे में लगभग 36 मस्जिदें स्थित हैं. इसके चलते याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया.
(इनपुट- एजेंसी)