पंजाब में बटाला से कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित अचलेश्वर धाम हिंदू-सिख एकता का प्रतीक है। इस ऐतिहासिक धाम का दर्शन करने के लिए लोग देश के कोने-कोने से आते हैं। कहा जाता है कि शिव व पार्वती इस स्थान पर अपने पुत्र कार्तिकेय को मनाने के लिए तमाम देवी-देवताओं के साथ यहां आए थे।
मसला सिर्फ इतना था कि कार्तिकेय अपने माता-पिता द्वारा गणेश का पक्ष लेने और कार्तिकेय के साथ भेदभाव किए जाने से खफा हो गए थे और उन्होंने कैलास छोड़कर यहीं अपना निवास बना लिया। देवगणों के मनाने से भी वह यहां से जाने को राजी नहीं हुए। तब से यह अचलेश्वर धाम के नाम से विख्यात हो गया। वैसे अचलेश्वर धाम के निकट सिखों की धार्मिक भावनाओं से जुड़ा अच्चल साहिब गुरुद्वारा भी स्थित है। जब गुरु नानक देव सांसारिक यात्रा पर थे, उस दौरान वे यहां पहुंचे और उन्होंने सिद्धों के साथ गोष्ठी की थी। अचलेश्वर धाम बटाला से करीब 7-8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। दीपावली के बाद नवमी व दशमी को यहां मेला लगता है। श्रावण महीने में यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटती है।