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Wednesday , 27 November 2024

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योजनाओं के दम पर तो नहीं मिलेगा आशीर्वाद


patrika-padtal208-08-2013-02-31-48Nझाबुआ। 20 फीसदी से अधिक आदिवासी आबादी के वोट बटोरने के लिए प्रदेश के मुखिया इस इलाके में जनआशीर्वाद यात्रा पर निकले हैं, लेकिन इन्हीं के कल्याण के लिए चलाई जा रही तमाम योजनाओं की जमीनी हकीकत कड़वी है।

पत्रिका की पड़ताल बताती है कि वन अधिकार कानून हो या सामाजिक सुरक्षा में पेंशन का मुद्दा या बच्चों में कुपोषण को दूर करने के लिए जारी मध्याह्न भोजन और आंगनवाडियों का संचालन, जिला मुख्यालय झाबुआ और आलीराजपुर से कुछ ही किमी दूर स्थितियां कागजों के आंकड़ों से काफी अलग हैं। वर्ष 2012-13 के लिए आदिवासी के लिए तय ट्राइबल सब प्लान के तहत 6300 करोड़ रू आवंटित हैं।

केस एक : 2.5 लाख के कर्ज में दबा आदिवासी परिवार

ब्लॉक पेटलावद के टेमरिया गांव में रमेश डामोर अपने सहित 6 परिवारों के लिए उस 30 बीघा जमीन की लड़ाई लड़ रहे हैं, जिस पर वे 1987 के पहले से खेती कर रहे थे। सभी वाजिब दस्तावेजों के बाद भी पांच सालों से वन विभाग 6 परिवार के 42 लोगों को खदेड़ने में लगा हुआ है और परिवार हक की इस लड़ाई के लिए 2.5 लाख के कर्ज में डूब चुका है।

केस दो : 150 रूपए की लड़ाई हार रही महिलाएं

सामाजिक सुरक्षा के बड़े दावों की हकीकत फूलमाल और ढेबरवड़ी गांव में उजागर हुई। यहां 24 विधवा और निराश्रित महिलाएं मात्र 150 रूपए की मासिक विधवा पेंशन केे लिए संघर्ष कर रही हैं। विधवा और निराश्रित 75 वर्षीय रामा पति खेमचंद पति के गुजरने के 10 साल बाद भी उनके मृत्यु प्रमाण-पत्र के लिए भटक रही हैं।

केस तीन: खीर-पूड़ी का इंतजार करते रह गए बच्चे

आलीराजपुर से पांच किलोमीटर दूरी के ग्राम सोनपुआ के माध्यमिक स्कूल में मंगलवार को ही बच्चे मध्याह्न भोजन का इंतजार करते रहे। तय मैन्यू के अनुसार बच्चों को इस दिन खीर-पूड़ी और सब्जी मिलनी चाहिए थी, लेकिन रसोई पर ताला लगा रहा और मैडम ने कहा घर जाकर खाना खा आओ।

केस चार: जमीन से बेदखल परिवार

झाबुआ के ग्राम गढ़वाड़ा के रामलाल पिता दीता गुंट्या को वन अधिकार कानून के तहत दावा करते ही वन विभाग ने बेदखल कर दिया। 65 साल वे जिस जमीन पर खेती कर रहे थे, 2008 में उससे बेदखल कर दिया और पूरे परिवार के साथ मारपीट भी की गई। अब परिवार के कुछ लोग आजीविका के लिए गुजरात में मजदूरी के लिए जाते हैं।

कुछ मुख्य संकेतकों पर इन दो जिलों की स्थिति

– 57 फीसदी अतिकुपोषित बच्चे झाबुआ में और 60.8 आलीराजपुर में
– 92 पांच साल से छोटे बच्चों की मृत्यु दर झाबुआ और आलीराजपुर दोनों में
– 68 शिशु मृत्यु दर दोनों जिलों में
– 1803 वन अधिकार कानून के तहत किए गए दावे झाबुआ में
– 652 आदिवासियों को झाबुआ में मिले पट्टे
– 4141 ने आलीराजपुर में किया दावा
– 3305 को मिले अधिकार पत्र।
(स्त्रोत : डीएलएचएस, एमपी इन्फो )

>> जनआशीर्वाद यात्रा में कल सीएम हमारे जिले में हैं। रिहर्सल में व्यस्त हूं, बाकी विषयों पर बाद में बात करेंगे।
– जयश्री कियावत, कलेक्टर, झाबुआ
(newsfrom patrika)

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