देवभूमि हिमाचल में आज भी सदियों से ऐसी परंपराएं चल रही हैं जिन्हें लोग इस युग में भी अपनाए हुए हैं। किन्नौर में अपना भाग्य आजमाने के लिए अजीबोगरीब टोटके का चलन है। यहां भाग्य का फैसला टोपी करती है। यूला कंडा में श्रीकृष्ण मंदिर के साथ बहती झील में टोली डाली जाती है।
अगर टोपी तैरती हुई दूसरे छोर तक पहुंच जाती है तो समझो आपकी मनोकामना पूरी। भाग्य आपका साथ देगा। यहां सिर्फ किन्नौर ही नहीं बल्कि शिमला और अन्य जिलों के लोग भी अपना भाग्य आजमाने के लिए आते हैं। यहां पहुंचने पर पर्यटक भी अपने आप को नहीं रोक पाते और टोपी से भाग्य जानने की कोशिश करते हैं।
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हर साल श्रीकृष्ण जन्माष्टमी उत्सव में शरीक होने वाले सैकड़ों लोग नहर में टोपियां प्रवाहित करके अपने अच्छे-बुरे भविष्य के बारे में जानते हैं। समुद्रतल से 12000 फीट की ऊंचाई पर स्थित यूला कंडा जन्माष्टमी उत्सव का इतिहास बुशहर रियासत से जुड़ा है।
मान्यता है कि तत्कालीन बुशहर रियासत के राजा केहरी सिंह के समय इस उत्सव को मनाने की परंपरा शुरू हुई थी। उस समय छोटे स्तर पर मनाए जाने वाले इस उत्सव को भले आज जिला स्तरीय का दर्जा मिल चुका है, लेकिन मेले को मनाने की परंपरा आज भी सदियों पुरानी है।
यूला कंडा में विद्यमान पवित्र झील के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण पांडवों ने वनवास के समय किया था। उसके बाद झील के बीच कृष्ण मंदिर का निर्माण किया गया। इस मंदिर की खासियत यह है कि इसमें हर धर्म के लोग दर्शन करते सकते हैं।