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 रमजान एक बार फिर रुखसत, ईद ने दी दस्तक | dharmpath.com

Saturday , 23 November 2024

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रमजान एक बार फिर रुखसत, ईद ने दी दस्तक

eidरमजान अब अलविदा होने को है। रमजान में दिन-रात खूब इबादतें हुई। बंदों ने कुरआन पढ़ा। नमाज अदा की। गुनाहों के लिए माफी मांगी। सच्ची और नेक जिंदगी गुजारने का अल्लाह से वादा किया। इस दौरान बुराईयों कोसों दूर भागी। अल्लाह ने अपने बंदों पर खूब रहमत बरसाई।

परंतु अफसोस माहे रमजान एक बार फिर रुखसत हो गया। अल्लाह के नेक बदों की आंखें डबडबा गई।

ईद ने दी दस्तक। ईद यानी खुशी ने दस्तक दे दी है। सबके चेहरे पर बहुत कुछ मिलने से पहले की खुशी है। रोजेदारों के चेहरे चमक रहे हैं। बच्चे खुशी से फूले नहीं समा रहे हैं। उनकी पसंद के नये कपड़े जो बने हैं। बेलबुटों वाला कुर्ता। कशीदाकारी की हुई टोपी। नजाकत वाला लखनवी नागरा व जूती। सलमा सितारा लगे डिालमिलाते लड़कियों के पोशाक। रंग-बिरंगी चुंदरी। रंग बिरंगी चूड़ियां। कानों की बाली। मेंहदी के कोन। बाजार हुआ गुलजार-इत्र, सेवईयां, मेवे, टोपी, रुमाल की खरीददारी को बाजार में भारी भीड़ देर शाम तक उमड़ती रही। महिलाएं चूड़ियां, मेहंदी के अलावा सोलह श्रंगार के सामान खरीदने में लगी रहीं। दुकानों में तो लोगों का सैलाब उमड़ पड़ा। बच्चे भी अपनी पंसद के सामानों की खरीदारी करने में लगे रहे।

इत्र की खुशबू से महका चौक-

शहर का चप्पा-चप्पा इत्र की खुशबू से गुलजार है। शुक्रवार को ईद होने की संभावना है। खरीदारी को लेकर बाजारों में भीड़ उमड़ चुकी है। ईद में चिकेन व सिल्क के कढ़ाई वाले कुर्ते के साथ-साथ सूती कुर्ता-पायजामा, लोगों की पहली पसंद है। थाना रोड, हाजी गली, गांधी चौक, हटिया रोड सहित कई मोहल्लों में ईद की खरीदारी शबाब पर है।

रोजा का मकसद बुराइयों से दूर रहना है-

रोजा बंदे को लोगों से मोहब्बत करने, बेसहारों की सहायता करने व सामाजिक सद्भाव का सलीका सिखाता है।

रोजा रखना व रोजा इफ्तार कराना बड़े ही सबाब का का काम है। रोजा का मकसद बुराइयों से दूर रहकर इंसानों के काम आना है। रमजान माह के रोजादारों के सभी अमीर, गरीब साथ में इफ्तारी करके आपसी भेदभाव कम करने का संदेश देता है।

रमजान एक बार फिर रुखसत, ईद ने दी दस्तक Reviewed by on . रमजान अब अलविदा होने को है। रमजान में दिन-रात खूब इबादतें हुई। बंदों ने कुरआन पढ़ा। नमाज अदा की। गुनाहों के लिए माफी मांगी। सच्ची और नेक जिंदगी गुजारने का अल्ला रमजान अब अलविदा होने को है। रमजान में दिन-रात खूब इबादतें हुई। बंदों ने कुरआन पढ़ा। नमाज अदा की। गुनाहों के लिए माफी मांगी। सच्ची और नेक जिंदगी गुजारने का अल्ला Rating:
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