श्रीनगर। हर-हर महादेव के जयघोष के बीच मंगलवार सुबह श्री अमरनाथ की पवित्र छड़ी मुबारक दशनामी अखाड़े से गोपाद्री पर्वत पर स्थित शंकराचार्य मंदिर में पूजा-अर्चना के लिए पहुंची।
समुद्रतल से करीब 3580 मीटर की ऊंचाई पर स्थित श्री अमरनाथ की पवित्र गुफा में शिवलिंग का मुख्य दर्शन रक्षाबंधन के दिन छड़ी मुबारक के गुफा में आगमन के साथ होगा। पवित्र छड़ी 16 अगस्त को दशनामी अखाड़ा से पवित्र गुफा के लिए प्रस्थान करेगी।
दशनामी अखाड़ा के महंत व पवित्र छड़ी मुबारक के संरक्षक महंत दिपेंद्र गिरी के साथ बड़ी संख्या में साधु महात्मा और श्रद्धालु भी शंकराचार्य मंदिर में पूजा-अर्चना के लिए छड़ी के साथ रवाना हुए। शंकराचार्य मंदिर में वैदिक पंरपराओं के साथ पूजा और जलाभिषेक के बाद छड़ी मुबारक वापस दशनामी अखाड़ा लौट आई।
महंत दिपेंद्र गिरी ने बताया कि आज हरियाली अमावस्य है। पौराणिक मान्यताओं और सनातन परंपराओं के मुताबिक, आज पवित्र छड़ी मुबारक शंकराचार्य मंदिर में पूजा के लिए जाती है। पूजा के बाद छड़ी वापस दशनामी अखाड़ा लौट आई है। अब सात अगस्त बुधवार को प्रतिपदा के दिन छड़ी हारि पर्वत स्थित मां शारिका के मंदिर में जाएगी और वहां पूजा-अर्चना के बाद वापस दशनामी अखाड़ा में आएगी।
उन्होंने बताया कि नौ अगस्त को तृतिया के अवसर पर दशनामी अखाड़ा परिसर में स्थित अमरेश्वर मंदिर में छड़ी स्थापना और ध्वजारोहण संपन्न होगा, जबकि 11 अगस्त को नापंचमी की शाम दशनामी अखाड़ा में पंरपरागत रूप से छड़ी का स्थापन होगा। इसके बाद 16 अगस्त दशमी की सुबह छड़ी मुबारक दशनामी अखाड़ा से पवित्र गुफा के लिए प्रस्थान करेगी। अलबत्ता, उस दिन वह रात्रि विश्राम पहलगाम में ही करेगी।
रास्ते में छड़ी मुबारक गोपाद्री पर्वत के दामन में स्थित दुर्गानाग मंदिर, सूर्येश्वर मंदिर सोनवार, शिव मंदिर पांपोर, शिव मंदिर बिजबिहाड़ा, मार्तड मंदिर मट्टन में जाएगी और वहां पूजा-अर्चना में भाग लेगी। उन्होंने बताया कि 17 अगस्त को एकादशी के दिन छड़ी मुबारक का पहलगाम में पूजन होगा और वह वहीं पर रात्रि विश्राम करेगी। छड़ी मुबारक 18 अगस्त को चंदनबाड़ी पहुंचेगी और 19 अगस्त त्रयोदशी की सुबह पूजा-अर्चना के बाद वह शेषनाग के लिए रवाना होगी। चतुर्दशी की सुबह 20 अगस्त को छड़ी मुबारक शेषनाग से पंचतरणी के लिए रवाना होगी और 21 अगस्त को रक्षाबंधन की सुबह छड़ी मुबारक पंचतरणी से रवाना होगी और पवित्र गुफा में प्रवेश होगी। इसके साथ ही इस साल की तीर्थयात्रा की मुख्य पूजा और दर्शन संपन्न होगा। रक्षाबंधन के दिन पवित्र गुफा में पूजा के बाद छड़ी मुबारक पंचतरणी आएगी। अगली सुबह 22 अगस्त को प्रतिपदा के दिन छड़ी मुबारक पहलगाम पहुंचेगी। उन्होंने बताया कि 23 अगस्त को द्वितिया के दिन पहलगाम में लिद्दर किनारे पूजा अर्चना और विसर्जन के साथ कड़ी पकोड़ी भंडारा होगा। इसके साथ ही इस साल की वार्षिक तीर्थयात्रा संपन्न होगी और छड़ी मुबारक वापस दशनामी अखाड़ा आकर विश्राम करेगी। उन्होंने कहा कि बेशक इस बार तीर्थयात्रा गत 28 जून से जारी है, लेकिन इस यात्रा को अगर धर्म और तीर्थयात्रा के आधार पर करना हो तो इसे व्यास पूर्णिमा से लेकर श्रावणी पूर्णिमा के संपन्न होने तक ही किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि 22 जुलाई को व्यास पूर्णिमा थी और उस दिन छड़ी मुबारक का पहलगाम में लिद्दर दरिया किनारे ध्वजारोहण, भूमिपूजन और नवग्रह पूजन संपन्न हुआ। उसी दिन से इस साल की वार्षिक तीर्थयात्रा पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक शुरू हुई है।