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अगर आपकी छाती चिपटी हुई और पसलियां नज़र आती हैं तो इसे सुडौल और उन्नत बनाने का प्रयास शुरु कर दीजिए। क्योंकि छाती होगी सुडौल और उन्नत तो देवी लक्ष्मी होंगी मेहरबान।
इस बात का उल्लेख समुद्रशास्त्र में मिलता है। तभी शायद प्राचीन काल में युवक व्यायाम करके अपनी छाती सुडौल और पुष्ट बनाने की कोशिश करते थे।
समुद्रशास्त्र वह विज्ञान है जिसमें अंग लक्षण के अनुसार भविष्य जानने की विधि बतायी गई है। इसी के आधार पर हस्तरेखा विशेषज्ञ आपकी हथेली और अंगों को देखकर आपके बारे में बताते हैं। इस विज्ञान के अनुसार जिनके वक्षस्थल छोटे होते हैं उन्हें जीवन भर धन की परेशानी का सामना करना पड़ता है।
जिनके वक्षस्थल छोटे-बड़े होते हैं उन्हें अपनी पहचान बनाने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ता है। ऐसे व्यक्ति को हमेशा दूसरों से सहायता की जरुरत पड़ती है।
उन्नत छाती वाले व्यक्ति साहसी होते हैं और रक्षा एवं खेल जगत में सफलता की ऊंचाई पर पहुंचते हैं। दोनों वक्षस्थल का एक सामान आकार में होना धन और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। ऐसे व्यक्ति धनवान होते हैं।
उन्नत, मांसल और पुष्ट छाती वाले व्यक्ति राजा के समान संपन्न और सुखी होते हैं। जिनकी छाती पर बाल होता है वह उदार और दयालु स्वभाव के होते हैं।
इसके विपरीत जिनकी छाती पर बाल नहीं होते हैं वह हमेशा अपने हित और फायदे की बात सोचते हैं। यह किसी की सहायता भी करते हैं तो इसमें इनका निहित स्वार्थ छिपा होता है।