मुख और आकार के अनुसार प्रकृति में कई प्रकार के रुद्राक्ष पाए जाते हैं। सभी रुद्राक्ष की अपनी खूबी होती है इसलिए जरुरी नहीं कि आप जिस उद्देश्य से रुद्राक्ष धारण कर रहे हैं वह रुद्राक्ष उसे पूरा करने में सफल हो। जैसे अगर कोई छात्र गौरी शंकर रुद्राक्ष धारण करता है तो उसे इसका लाभ नहीं मिलेगा क्योंकि यह वैवाहिक जीवन और विवाह में आने वाली बाधाओं को दूर करने में कारगर होता है।
छात्रों के लिए सबसे उत्तम चारमुखी रुद्राक्ष को माना गया है। इसका कारण यह है कि चारमुखी रुद्राक्ष बौद्घिक योग्यता एवं स्मरण शक्ति को बढ़ाने में कारगर होता है। शास्त्रों में चारमुखी रुद्राक्ष को ब्रह्मा एवं देवी सरस्वती का प्रतिनिधि माना गया है।
देवी सरस्वती और ब्रह्मा दोनों ही ज्ञान के देवता माने जाते हैं। इस रुद्राक्ष का प्रतिनिधि ग्रह बुध है जिसे ज्योतिषशास्त्र में बुद्घि का कारक कहा गया है। माना जाता है कि इस रुद्राक्ष को धारण करने से ध्यान केन्द्रित होता है और पढ़ने-लिखने में रुचि बढ़ती है।
पढ़ा गया विषय लंबे समय तक याद रहता है जो किसी भी परीक्षा में सफलता के लिए आवश्यक तत्व है। इसलिए इसे परीक्षा में कामयाबी दिलाने वाला रुद्राक्ष भी कहा जाता है।
जो लोग नकारात्मक विचारों से जल्दी प्रभावित हो जाते हैं उनके लिए भी यह रुद्राक्ष लाभप्रद होता है। इससे धर्म-कर्म के प्रति आस्था बढ़ती है और मानसिक शांति एवं आरोग्य सुख मिलता है। व्यवसाय का कारक ग्रह बुध को माना जाता है इसलिए व्यवसायियों के लिए भी चामुखी रुद्राक्ष फायदेमंद होता है।