भारतीय संस्कृति के रीति-रिवाज और धार्मिक अनुष्ठान इस प्रकार बनाये गये हैं ताकि व्यक्ति स्वस्थ और खुशहाल जीवन का आनंद ले सके। सावन के महीने में होने वाले पर्व त्यौहार भी इसी के उदाहरण हैं। सावन के महीने में कजरी तीज, हरियाली तीज, मधुश्रावणी, नाग पंचमी जैसे त्यौहार मनाये जाते हैं।
ऐसी मान्यता है कि इन त्योहारों में नवविवाहिता स्त्रियों के अपने मायके में रहकर त्योहार मनाना चाहिए। धार्मिक और लोकमान्यताओं के अनुसार ऐसा करने से पति की आयु लंबी होती है और दांपत्य जीवन खुशहाल रहता है।
धार्मिक मान्यताओं को आयुर्वेद भी स्वीकार करता है लेकिन इसका अपना वैज्ञानिक मत है। आयुर्वेद के अनुसार सावन के महीने में मनुष्य के अंदर रस का संचार अधिक होता है जिससे काम की भावना बढ़ जाती है। मौसम भी इसके लिए अनुकूल होता है जिससे नवविवाहितों के बीच अधिक सेक्स संबंध से उनके स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ सकता है।
डा. अच्युत त्रिपाठी बताते हैं कि सावन के महीने में पुरूषों को ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए वीर्य का संरक्षण करना चाहिए। आयुर्वेद में लिखा है कि इस महीने में गर्भ ठहरने से होने वाली संतान शारीरिक और मानसिक रूप से कमज़ोर हो सकती है। इसलिए ही भारतीय संस्कृति में पर्व त्योहार की ऐसी परंपरा बनायी गयी है ताकि सावन के महीने में नवविवाहित स्त्रियां मायके में रहे।
सावन के महीने में शिव की पूजा के पीछे भी यही कारण है कि व्यक्ति काम की भावना पर विजय पा सके। भगवान शिव काम के शत्रु हैं। कामदेव ने सावन में ही शिव पर काम का बाण चलाया था जिससे क्रोधित होकर शिव जी ने कामदेव को भस्म कर दिया था।