अगर आप दिखने में लंबे और छरहरे एवं स्वास्थ्य में अक्सर उतार-चढ़ाव बना रहता है तो संभव है कि आप पर शुक्र और बृहस्पति का प्रभाव होगा। यह स्थिति तब बनती है जब व्यक्ति का जन्म 20वें नक्षत्र यानी पूर्वाषाढ़ा में होता है।
इस नक्षत्र के चारों चरण धनु राशि होने से गुरू का एवं नक्षत्र का स्वामी शुक्र होने से व्यक्ति इन दोनों ग्रहों से प्रभावित रहता है। इसका परिणाम है कि व्यक्ति धार्मिक प्रवृति का होता है।
ऐसे व्यक्ति महत्वाकांक्षी और स्वाभिमानी होते हैं। यह काफी बुद्घिमान होते हैं इसलिए शिक्षा के क्षेत्र में इनका प्रदर्शन प्रशंसनीय होता है। मित्रों एवं शिक्षकों की नज़रों में यह सम्मानित होते हैं। रहस्यमयी विषयों में इनकी विशेष रूचि होती है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति विनम्र और ईमानदार होते हैं। साहित्य एवं कला विषयों में इनकी रूचि होती है।
इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले पुरूष बड़े ही साहसी और आशवादी होते हैं। संकट के समय में उम्मीद का दामन कसकर पकड़ रहते हैं और अपने प्रयास से समस्याओं से निकलने में इन्हें कामयाबी भी मिलती है।
पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र की महिलाएं
पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में जन्म लेने वाली महिलाओं के विषय में माना जाता है कि इनका रंग गोरा होता और यह दिखने में सुंदर होती हैं। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाली महिलाओं की आंखें आकर्षक होती हैं। इनकी बुद्घि प्रखर होती है और जीवन के प्रति इनका दृष्टिकोण सकारात्मक होता है।
यह हर पल को आनंदपूर्वक बिताना चाहती हैं लेकिन इनमें लालच की भावना रहती है। परिवार एवं पति से इनका विशेष प्रेम रहता है इसलिए दांपत्य जीवन सुखमय होता है।