आज के युग में तनाव बढ़ रहा है, सच्ची खुशी जा रही है, जीवन में रस नहीं रहा, ऐसे में भगवान का योग, ध्यान ही व्यक्ति को बचा सकता है। दुनिया भर के दुःख एवं संतापों की आग में तपे हुए लोगों के लिए एक ही दवाई है, भगवान की भक्ति, ध्यान साधना और योग।
अपनों की चोट से आदमी का दिल रोता है, ऐसे में सब पीड़ाओं से बचने का एक ही इलाज है कि नियम पूर्वक श्रद्घा-भाव से परमात्मा की गोद में बैठना शुरू करें। इसके लिए प्रभात में उस समय जागो जिस समय को मालिक की बेला कहते हैं। जब आसमान के माथे पर सूरज की लाली आ रही हो, तारों की बारात विदाई ले रही है?
जब भीग गई घास ओस से, कवियों के मुख मुस्कराहट से भर गए, पंछी उड़ान भरने के लिए पंख खोल रहे हैं, शान्ति का शासन बीतने लगा है, दूर कहीं मन्दिर की घंटिया बजने लगी हों। ऐसे में कोई भगवान का लाड़ला स्नान वगैरह करके आसन पर बैठता है, प्राणायाम करके, जाग कर प्रभु को निमंत्रण देता है तो व्यक्ति का सौभाग्य जगता है, भगवान की कृपा प्राप्त होती है।
प्रभात में उठने वाले के माथे पर सौभाग्य का तिलक प्रकृति करती है। प्रभात का जागरण व्यक्ति को दिव्य करता है, स्मरण-शक्ति को बढ़ाता है। भगवान सब में हैं, मगर प्रकट नहीं हैं, लेकिन जब प्रकट होंगे, उसकी अनुभूति होगी, तो आनन्द-शक्ति-चैन मिलेगा। जब हृदय में दया आए, आप संवेदनशील बन जाएं तो समझें भक्ति की लहरें प्रकट होने लगी हैं, अन्दर का परमात्मा किसी न किसी अंश में प्रकट होने लगा है तो समझिए उस परम की कृपाएं आपको छू रही हैं।
प्रेम की लहर अन्दर से प्रकट हो, प्रभात में उठकर मन ध्यान में लगने लग जाए तो अन्दर से ऐसी हिलोर उठेगी कि आपको अपनी सुध-बुध नहीं रहेगी, आनन्द अन्दर आना शुरू हो जाएगा। यह ऐसा सुख है जो कहा नहीं जा सकता। नियम बना लें हर दिन आसन स्थिर करना।
जाप में प्रेम प्रकट हो, नाम जपते-जपते हिलोर में आ जाएं। ‘‘प्रभु’’ मैं संसार के आकर्षण में नहीं, तुम्हारे अकर्षण में बंधना चाहता हूं, मेरे चित्त को अपना चित्त बना लो।’’ उस परमात्मा को किसी भी नाम से पुकारो लेकिन उसके होकर पुकारो। पूजा में प्रेम नहीं हो तो शब्द बाहर हैं प्रेम हृदय की भावना में प्रकट हो, ‘‘प्रभु तू प्रेम है, आनन्द का स्रोत है। तू शक्ति है, ज्योति है, प्रकाश है, ज्ञान-स्वरूप है।
तेरा ध्यान करते-करते मेरी शक्ति बढ़ने लग जाती है। तू शक्ति है, तू आनन्द है-केवल आनन्द है, मैं प्रपुफल्लित हो रहा हूं।’’ परमात्मा से प्रेम होगा तो उसकी कृपा में भी प्रेम होगा, फिर हर मन में प्रभु होगा तो उस प्रेम से प्रेम बढ़ता है। उसकी महिमा सुनो जिससे प्रेम की ज्योति प्रचण्ड रहे।
दुनिया में भगवान को चाहने वाले कम हैं, भगवान से चाहने वाले ज्यादा हैं। अपने मन को एकाग्रता से भगवान में लगाना शुरू कर दें। जीवन के अन्तिम भाग तक कर्मशील बने रहें। अपने बड़े-बुजुर्गो का आदर-सम्मान करें जो बड़े-बजुर्गो का सम्मान करते हैं उन्हें तीर्थ-मन्दिरों से भी ज्यादा पुण्य मिलता है।
उनका आशीर्वाद चमत्कार करता है। हम सब अन्धी दौड़ में शामिल होकर कृत्रिम जीवन जी रहे हैं। भगवान ने जो जीवन दिया था वह देवताओं की जिन्दगी वाला था। मन संसार के मालिक को देकर देखो, जिन्दगी में आनन्द की लहर आनी शुरू हो जाएगी। प्रतिदिन प्रभात में मालिक की बेला में जागकर जीवन को आनन्द-चैन-सुख से भरकर तनाव रहित जीवन जीएं।